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1st Bihar Published by: Ganesh Samrat Updated Wed, 15 Jan 2020 02:15:11 PM IST
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PATNA : कांग्रेस के दही-चूड़ा भोज में शामिल हुए बिहार में विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आज लालू जी यहां नहीं है इसकी कमी खल रही है। वे होते तो बात ही कुछ और होती हालांकि उन्होनें दही-चूड़ा खाते हुए इस बात के भी संकेत दिए कि महागठबंधन में कोई गांठ नहीं है।
तेजस्वी ने कहा कि दही-चूड़ा के भोज के मौके पर जो लालू जी ने जो परंपरा की शुरुआत की थी उस खास मौके पर उनका न होना खलता है। लालू जी इस मौके पर सभी को बुलाते थे और खुद अपने हाथों से सभी को दही-चूड़ा का भोज करवाते थे। तेजस्वी ने कहा कि मकर संक्रांति के मौके पर हमारी यहीं कामना है कि महागठबंधन के सभी नेता एकजुट होकर बिहार के जनता का दुख-दर्द दूर करें।
महागठबंधन में नेता पद पर मचे घमासान के बीच तेजस्वी यादव के इस तरह के बयान के मायने बहुत कुछ हो सकते हैं। क्या तेजस्वी खुद को महागठबंधन के भीतर बिना लालू यादव के अकेला महसूस कर रहे हैं क्या ? और तो और तेजस्वी मकर संक्रांति के बहाने महागठबंधन के नेताओं के एकजुट होने की कामना कर रहे हैं। ये इशारा कर रहा है कि तेजस्वी खुद को महागठबंधन के भीतर सहज महसूस नहीं कर रहे हैं।
आज कांग्रेस के बुलाए चूड़ा-दही भोज में महागठबंधन के नेताओं ने खुद को एकजुट दिखाने की भरपूर कोशिश जरुर की लेकिन कहीं न कहीं महागठबंधन के अंदर तेजस्वी को नेता न मानने की जो पार्टियों की जिद है वो नजर आती दिखी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की बातों पर गौर करें तो उन्होनें कहा है कि नीतीश कुमार को सेक्युलर गठबंधन के तहत जीत मिली थी और वह मुख्यमंत्री बने थे। लिहाजा नीतीश कुमार को अपने फैसले पर एक बार फिर से सोचना चाहिए। अब वे ऐसा कह कर क्या साबित करना चाहते हैं इसका जवाब तो भविष्य के गर्त में हैं वहीं मांझी के सुर भी नहीं बदल रहे हैं। मांझी तेजस्वी को नेता मानने को तैयार नहीं है।हर बार वे कोर्डिनेशन कमिटी की बात उठा कहीं न कहीं जता और बता देते हैं कि इतनी आसानी से वे तेजस्वी को नेता मानने वाले नहीं है।