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1st Bihar Published by: HARERAM DAS Updated Mon, 23 Jan 2023 08:05:44 AM IST
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BEGUSARAI : लगभग एक माह पहले बिहार स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के पेपर लीक मामले में कुछ दिनों के अंतराल के बाद अब एक बार फिर से आर्थिक अपराध इकाई ने (EOU) ने बड़ी कार्रवाई की है। आर्थिक अपराध इकाई की एसआईटी ने बेगूसराय के भाजपा जिला अध्यक्ष राजकिशोर सिंह के विकास विद्यालय में छापेमारी की है और वहां के अकाउंटेंट रोशन कुमार को गिरफ्तार किया है।
मिली जानकारी के अनुसार, बिहार में पिछले दिनों कर्मचारी चयन आयोग के परीक्षा का प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था जिसके बाद इसको लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी और सरकार ने इस मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई को करने की जिम्मेदारी सौंप दी थी। इसके बाद ईओयू ने लगातार छापेमारी कर कई लोगों को गिरफ्तार किया था।
इसी जांच के दौरान अब यह बात सामने आई है कि इस परीक्षा का सवाल बेगूसराय के विकास विद्यालय सेंटर से भी बहार आया था। जिसके बाद अब आर्थिक अपराध इकाई ने स्कूल के अकाउंटेंट रोशन कुमार को गिरफ्तार किया है।
इस गिरफ्तारी को लेकर ईओयू का कहना है कि, जांच के नया बात सामने आई कि अकाउंटेंट राशन को मारने हैं कर्मचारी चयन आयोग एग्जाम के पहले प्रश्न पत्र को अपने ही मोबाइल से फोटो खींच लिया और इसे एक कैंडिडेट भेज भी दिया।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि, यह प्रश्न पत्र जिस कैंडिडेट को भेजना था वह कैंडिडेट एग्जाम देने आया ही नहीं था। नियमों के मुताबिक एग्जाम के दरमियान अगर कोई कैंडिडेट नहीं आया है तो उसे मिलने वाले क्वेश्चन पेपर जिसका इस्तेमाल नहीं हुआ है उसे सील पैक करके वापस प्रिंसिपल को दिया जाएगा लेकिन विकास विद्यालय में ऐसा नहीं हुआ।
बताया जा रहा है कि, विकास विद्यालय में अकाउंटेंट रौशन एग्जामिनेशन हॉल में गया वहां पहुंचने के प्रिंसिपल का नाम लेकर बचा हुआ क्वेश्चन पेपर ले लिया और फिर ऊपर के फ्लोर पर चला गया। वही हाल में उसने अपने मोबाइल से क्वेश्चन पेपर का फोटो खींच लिया। लेकिन, ईमेल पर भेजे गए क्वेश्चन पेपर के बारकोड के आधार पर जब जांच हुई तो बेगूसराय के भाजपा जिला अध्यक्ष के विकास विद्यालय के सेंटर के इस कारनामे का पता चला।
आपको बताते चलें कि पिछले महीने 23 दिसंबर को कर्मचारी चयन आयोग के पहले पाली का पेपर मोतिहारी से लीक हुआ था जिसे बीएसएससी ने कैंसिल कर दिया था। इसी मामले में 28 दिसंबर को बीएसएससी की तरफ से पेपर लिक से जुड़े सबूत 3 दिनों के अंदर कैंडिडेट से मांगे गए थे। इसी के बाद इसको लेकर कर्मचारी चयन आयोग और आर्थिक अपराध इकाई को कई ईमेल आए और इसी में दो ईमेल ऐसे थे जिसमें पहली पाली का क्वेश्चन पेपर था जिसे देखते एजेंसी का दिमाग ठनका और फिर जांच आगे बढ़ी और अब यह बात सामने आई।