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1st Bihar Published by: RITESH HUNNY Updated Sun, 27 Nov 2022 02:30:07 PM IST
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SAHARSA : बिहार के सहरसा का कोसी का ईलाका अपने शुरूआती दौर से ही समृद्धि और ज्ञान का भंडार रहा है। यहां एक से एक विभूतियों द्वारा सहरसा और कोसी का नाम देश दुनिया तक पहुंचाया गया है। अब इसी कड़ी में जिले के बनगांव की बेटी लक्ष्मी झा ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। वे मात्र 9 दिन के अंतराल में ही नेपाल स्थित काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर तिरंगा झंडा को फ़हराया है। जिसके बाद वे एवरेस्ट तक पहुंचने वाली बिहार की पहली बेटी बनी है, जिससे जिले का नाम रौशन हुआ है।
बताया जाता है कि, लक्ष्मी झा के इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां सरिता देवी का काफी सहयोग रहा है। जिनकी प्रेरणा एवरेस्ट पर फतह करने में उनका सहायक बनी। दरअसल, बनगांव निवासी स्व० विनोद झा और सरिता देवी के चार बच्चों में सबसे छोटी लक्ष्मी झा जब बच्ची थी तभी उसके पिता की मौत हो गई। रोजी रोटी का कोई सहारा नहीं होने के कारण उसकी मां गांव के ही कई घरों में चूल्हा-चौका संभालकर परिवार की गाड़ी खिंचती रही। साथ ही चारों बच्चों का लालन-पालन भी करती रही।
लक्ष्मी ने काफी मेहनत से पढ़ाई कर मैट्रिक और इंटर के बाद लिए बीए की परीक्षा पास किया। फिर ग्रुप डी की परीक्षा को पास कर पटना स्थित सचिवालय में सहायक कर्मचारी बनी। वर्ष 2019 में उन्होंने सचिवालय में नौकरी प्राप्त किया। जहां से वे अपने सपने एवरेस्ट पर चढ़ने की ओर कदम बढ़ाया। जिसके बाद उसके जिंदगी में बदलाव आया। उनका नामांकन उत्तराखंड स्थित पर्वतारोहण के नेहरू इंस्टिट्यूट में हुआ। जहां वर्तमान में हरियाणा में पदस्थापित डीएसपी अनीता कुंडुन से उनकी मुलाकात हुई। जिसके सहयोग और मार्गदर्शन से वे आगे बढ़ती रही। जिसके बाद बीते दिनों नेपाल स्थित काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई को पूरा किया। हालांकि वे एवरेस्ट की शिखर तक नहीं पहुंची है। चूंकि एवरेस्ट शिखर तक जाने में 40 से 45 लाख रुपए के खर्च के साथ कड़े अभ्यास की आवश्यकता हैं। वे फिलहाल दोनों ही स्थिति में अपने आपको सुरक्षित नहीं महसूस कर पा रही हैं। लेकिन उनकी इच्छा एवरेस्ट के शिखर पर भारत के झंडे को फहराना है।
गौरतलब हो कि, बिहार में पर्वतारोहण के लिए कोई ट्रेनिंग सेंटर ही कार्यरत नहीं है। ऐसे में बिहार के लोगों को पर्वतारोहण की ट्रेनिग लेने के लिए दूसरे राज्य का सहारा लेना पड़ता है। जिसमें यहां के बेटे- बेटियां काफी पिछड़ जाती है। ऐसे में लक्ष्मी झा ने अपने जुनून और सपने को साकार करते हुए काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंची है। वे कहती हैं कि अगर आर्थिक मदद मिले तो वे एक दिन एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचकर तिरंगा को जरूर फराएंगी।