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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Mar 2023 10:24:21 AM IST
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PATNA : "गीता पर हाथ रखकर" पुस्तक का विमोचन किया गया। इस किताब के लेखक मानवेंद्र मिश्रा है। इस पुस्तक में मुख्य रूप से न्यायालय परिसर, वकील, जज और कटघरे में खड़ा व्यक्ति अपराधी के रूप में न्याय की आस में लगा है। इस पुस्तक में टॉपिक अलग- अलग कर अपनी यादों को लिखा गया है।
इस किताब के बारे में चर्चा करते हुए साहित्कार असित मिश्रा ने कहा कि, यह पुस्तक साहित्य सृजन का एक जरिया है। उन्होंने बोला कि वैसे तो एक न्यायिक पदाधिकारी हैं लेकिन जब जब मैं आई से जुड़ी घटनाओं तक तो और उसके चक्र को घूमते हुए अपनी आंखों के सामने देखते हैं तो उनके अंदर क्या भाव बना उत्पन्न होती है इसको लेकर उन्होंने इस पुस्तक में बहुत कुछ लिखा है।
इसके साथ ही इस किताब के बारे में उन्होंने कि, देव योग से मेरे कार्य क्षेत्र में भी कल्पना की वजह सबूतों की ही प्रधानता रही है लेकिन सुबतों के पीछे भी एक चेहरा भी होता है। उसी तरह न्याय की धाराओं के पीछे मानवीयता होती है। हथकड़ियों के पीछे कलाइयां भी होती है और कटघरे में खड़े आदमी के पीछे उसका हार्ट होता है। यह रचना इन्हीं पीछे की चीजों पर काल्पनिक रूप से दृष्टिपात करने की कोशिश भर ह। यह कोशिश इसलिए की साहित्यिक दृष्टि से इस बात की तस्दीक हो सके कि मेरी जगह यदि आप होते तो आप का निर्णय क्या होता।
आपको बताते चलें कि, यह पुस्तक मानवेंद्र विश्व की पहली कहानी संग्रह है जिसमें न्याय से जुड़ी घटनाएं तक तो और उसके चक्र में घूमते आम आदमियों का कल्पनात्मक वर्णन है। मानवेंद्र मिश्र का 2013 में बिहार न्यायिक सेवा में चयनित होकर विधि विरुद्ध किशोर के संबंध में बाल मैत्री दृष्टिकोण अपनाते हुए उसके संरक्षण एवं समाज की मुख्यधारा में उन्हें वापस लाने की प्रक्रिया में निर्णय देते हुए विशेष रूप से सक्रियता रही है।