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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 23 Feb 2024 03:07:59 PM IST
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PATNA: महज चार विधायकों के दम पर बिहार की सत्ता में भागीदार बने जीतन राम मांझी आए दिन तरह-तरह के बयान देकर सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं। जब उनकी पार्टी महागठबंधन की सरकार में शामिल थी तब उन्होंने शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और अब जब बिहार में एनडीए की सरकार है तो मांझी की नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।
दरअसल, जीतन राम मांझी चाहे जिस भी सरकार में रहे अपनी महत्वकांझा को पूरा करने के लिए सहयोगी दलों के खिलाफ कुछ न कुछ कहते रहते हैं। बिहार में सरकार चाहे महागठबंधन की हो या फिर एनडीए की मांझी राजनीति के बड़े खिलाड़ी की तरह समय से पहले पाला बदलते रहते हैं और अपनी मंशा को पूरा करने के लिए जिस पाले में रहते हैं उसी के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं।
एनडीए के साथ जाने से पहले जब जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन की हिस्सा थी। तब उन्होंने शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ क्या कुछ नहीं कहा। एनडीए के साथ जाने के बाद से ही मांझी नीतीश कुमार के पाला बदलने का दावा कर रहे थे और उनका दावा सही भी साबित हो गया। बिहार में एनडीए की सरकार में वे सहयोगी बने और दो मंत्री पद की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने लगे।
कैबिनेट का विस्तार हुआ तो उनके बेटे संतोष सुमन को दो विभागों का मंत्री बनया गया, जिसके बाद मांझी नरम पड़ गए। महज चार विधायकों के बल पर बिहार में सत्ता की चाबी हाथ में लेकर घूम रहे मांझी की नजर अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने पटना की सड़कों पर बड़े बड़े पोस्टर लगाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक दिया है।
पोस्टर में लिखा गया कि, “कर दो हर पंचायत में एलान.. बिहार का मुख्यमंत्री होगा मांझी का संतान”। हम के राष्ट्रीय सचिव रंजीत कुमार की तरफ से पटना के पॉश इलाके बेली रोड ये पोस्टर लगाए गए हैं। इस पोस्टर को लेकर सियासत शुरू हो गई है और कहा जा रहा है कि जीतन राम मांझी का पेट एक, दो या तीन रोटी से नहीं भरने वाला है।
उधर, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नंदलाल मांझी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अगर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। किसी भी दल के कार्यकर्ताओं की भावना रहती है कि दल के नेता सर्वोच्च पद पर आसीन हों और किसी राज्य का नेतृत्व करे। अगर कार्यकर्ता चाहते हैं कि जीतन राम मांझी इस राज्य के मुख्यमंत्री बनें तो फिर इसमें गलत क्या है?