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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 02 Aug 2023 12:54:34 PM IST
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PATNA: बिहार सरकार चौराहे पर खड़ी है पूरी तरह से दिग्भ्रमित है। चौराहे पर खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सत्ता के योग्य नहीं हैं। इनको किसी भी कीमत में सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार अब नहीं बचा है। पटना में मीडियो को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने यह बातें कही। उन्होंने इस दौरान महागठबंधन की सरकार पर जमकर हमला बोला। विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार एक श्वेत पत्र जारी करे कि अपराध को रोकने में जातीय गणना कहां बाधा बन रही थी?
भाजपा नेता विजय सिन्हा ने कहा कि एक तरफ शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को 26 दिन के बाद अपमान का खूंट पीकर कार्यालय आने के लिए विवश होना पड़ा। दूसरी तरफ भूमि राजस्व मंत्री आलोक मेहता मुंह छिपाये फिर रहे हैं और तीसरी तरफ यहां के शासन प्रशासन में बैठे लोग फरमान जारी कर रहे है कि बालू माफिया को जिलाबदर करेंगे। लेकिन जो बालू माफिया का सरगना तो सरकार में बैठा हुआ है। विजय सिन्हा ने सरकार से पूछा कि क्या उस सरगना को निकालेगे? अवैध बालू खनन में बिहटा में मर्डर हुआ। निलेश बालू माफिया की गोली का शिकार हो गया है। उन्होंने डीजीपी से पूछा कि वे बताये कि इन माफिया का संरक्षक कौन है? उसके खिलाफ क्या कार्रवाई कर रहे है?
विजय सिन्हा ने कहा कि बालू-दारू और जमीन माफिया प्रशासन के साथ गठजोड़ करके अपनी इच्छा के अनुसार पदाधिकारियों का पोस्टिंग कराता है। जो चाहता है वो करता है। उच्च स्तरीय जांच होने पर सरकार में बैठे कई लोगों का चेहरा उजागर हो जाएगा। जैसे-जैसे चुनाव आ रहा है वैसे-वैसे महागठबंधन के लोग घबराहट में है। मुद्दा तलाश रहे है कि किस नाम पर जातीय उन्माद फैला सकते है। किस नाम पर अपने अपराध और भ्रष्टाचार को छिपा सकते है। उन्होंने कहा कि INDIA के बैनर तले ये लोग अपना साफ चेहरा दिखाकर वोट की ठगी करने में लगे हैं।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के जारी फरमान पर उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षकों के भविष्य को नष्ट करने के लिए रोज नया फरमान जारी किया जा रहा है। विधायिका को जब-जब कमजोर किया है तब-तब अफसरशाही बढ़ी है। प्रशासनिक अराजकता फैला है। केके पाठक बड़े सुधार कर रहे हैं तो इसके पूर्व शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी और विजय चौधरी नाकारा मंत्री थे क्या? चंद्रशेखर किसी काम के लायक नहीं है क्या? जब एक अधिकारी विभाग को चला सकता है तो मंत्री की क्या जरूरत? सरकार के कैबिनेट की क्या आवश्यकता? यह मानसिकता कही ना कही लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है और विधायिका को लज्जित कर रहा है।
फर्स्ट बिहार के लिए पटना से शैलेन्द्र पांडेय की रिपोर्ट