BIHAR: अश्विनी हत्याकांड का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, घटना के दो महीने बाद पुलिस ने दबोचा बेगूसराय में बाढ़ का कहर: 12 घंटे में 7 की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप BIHAR: गंगा नदी में 100 KM बहकर बचा शख्स, बेंगलुरु से आने के बाद पटना में लगाई थी छलांग Bihar News: बिहार में पानी में डूबने से दो सगी बहनों की मौत, छोटी सी गलती और चली गई जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी
1st Bihar Published by: Updated Fri, 01 Apr 2022 03:25:53 PM IST
- फ़ोटो
DESK : खेलों की दुनिया के चैंपियन अपनी किशोरावस्था में देश-दुनिया को चौंकाने लगते हैं और पैंतीस-चालीस के बीच अधिकांश रिटायर भी हो जाते हैं. जब दिग्गज अलविदा कह रहे होते हैं तब प्रवीण तांबे ऐसा नाम है, जो उस उम्र में राष्ट्रीय मैदान में पहला कदम रखते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है. यह कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा से कम साबित नहीं होती.
डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हुई फिल्म 'कौन प्रवीण तांबे' देखने से पहले संभव है कि आप इस क्रिकेटर को न जानते हों, लेकिन जानने के बाद हैरान होंगे. फिल्म कौन प्रवीण तांबे में एक निम्न-मध्यमवर्गीय मुंबईकर की कहानी कहती है. बचपन से उसका सपना है, क्रिकेट की नेशनल चैंपियनशिप रणजी ट्रॉफी में खेलना. वह मध्यम तेज गति का गेंदबाज है. बल्लेबाजी भी कर लेता है. उसे ऑलराउंडर कह सकते हैं.
प्रवीण (श्रेयस तलपड़े) क्रिकेट की धुन में भूल जाता है कि परिवार को उसके सहारे की भी जरूरत हो सकती है. बड़ा भाई उसे निरंतर आगे बढ़ने को प्रेरित करता है मगर मां को चिंता है कि कब प्रवीण जिम्मेदारी समझेगा. कब कमाएगा ताकि उसकी शादी हो सके. प्रवीण की नौकरी भी लगती है और शादी भी होती है. वह दो बच्चों का पिता भी बन जाता है लेकिन उसका सपना पूरा नहीं होता.
वह गली क्रिकेट से लेकर स्थानीय टूर्नामेंटों तक सिमटा रहता है. राज्य और देश की टीम में उसके लिए जगह नहीं बनती. मगर वह हार नहीं मानता और पहले 30, फिर 35 और अंततः 40 की उम्र पार करते हुए भी वह अपने सपनों का पीछा नहीं छोड़ता. लगातार मेहनत करता है, सपने देखता है और एक दिन नतीजा सामने आता है. उसे आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलने का बुलावा आता है. वहां प्रवीण क्या चमत्कार करता है, यह आप फिल्म में देख सकते हैं.
41 साल की उम्र में प्रवीण तांबे का बगैर कोई प्रथम श्रेणी मैच खेले, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के साथ एक लीग में खेलना, इंसानी जिद और जुनून की कहानी है. प्रवीण तांबे की यह कहानी क्रिकेट के फैन्स को चौंकाएगी. लेकिन सिनेमा के प्रेमियों को भी इसमें मजा आएगा. भारत में क्रिकेट और सिनेमा, इन दोनों से बढ़ कर कुछ नहीं है. कौन प्रवीण तांबे इन दोनों का बढ़िया कॉकटेल है.
मराठी से आए निर्देशक जयप्रद देसाई ने हिंदी सिनेमा के मैदान में अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया है. वहीं प्रवीण तांबे के रोल में श्रेयस तलपड़े ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है. 2005 में श्रेयस फिल्म इकबाल में मूक-बधिक क्रिकेटर बने थे और उन्हें इसके लिए फिल्मफेयर का बेस्ट डेब्यू अवार्ड तथा जी सिने क्रिटिक्स का बेस्ट ऐक्टर अवार्ड मिला था. उस परफॉरमेंस को श्रेयस ने यहां सहजता से दोहराया है.
उनकी पत्नी के रूप में अंजली पाटिल और कोच के रूप में आशीष विद्यार्थी की भूमिकाएं सीमित लेकिन प्रभावी हैं. दोनों बढ़िया ऐक्टर हैं. एक अखबार के खेल पत्रकार बने परमब्रत चक्रवर्ती का किरदार यहां रोचक है और वह अंत तक कहानी में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखता है. कौन प्रवीण तांबे हाल के वर्षों में क्रिकेट पर बनी फिल्मों से अलग, याद रखने योग्य और एक मायने में प्रेरणा लेने जैसी है. हमारे मिडिल क्लास किशोरों-युवाओं को ऐसी फिल्मों की जरूरत है.