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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 28 Jul 2023 09:55:39 AM IST
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PATNA : आगामी साल लोकसभा का चुनाव होना है। इस चुनाव से पहले देश की तमाम राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को मजबूत करने में लगी है। इसको लेकर लगातार बैठक भी की जा रही है। जहां सत्तारूढ़ दल अपनी पार्टी को मजबूटी करने के लिए पुराने सहयोगी को वापस से साथ लाने में जूती हुई है। तो वहीं विरोधी दल इसबार एकजुटता के साथ वन टू वन फार्मूला तय करने में लगी हुई है। इसी कड़ी में अगर बात करें बिहार की तो वहां के लिए सभी राजनीतिक दल पिछड़ा वोट बैंक को अपने साथ करने में विशेष रूप से लगी हुई है। यही वजह है कि भाजपा चिराग और जीतनराम मांझी को अपने साथ ले आई है तो वहीं अब जेडीयू ने भी बड़ा निर्णय लिया है। जेडीयू के तरफ से इस समुदाय के वोट बैंक को साधने के लिए इस महीने के अंदर दो कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
दरअसल, जेडीयू अतिपिछड़ा जनाधार को और मजबूत करने और दलित वोट बैंक को अपने साथ लाने के लिए इस माह दो बड़े कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है। पार्टी सबसे पहले 6 अगस्त को राज्य के पांच प्रमंडलों में पांच टीम तैयार कर ‘कर्पूरी चर्चा’ लांच करने जा रही है। यह कार्यक्रम लांचिंग के बाद 1 सितम्बर से आरंभ होकर 24 जनवरी 2024 यानी कि कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती तक चलेगी। इसके बाद 15 अगस्त को राज्य की सभी 8054 ग्राम पंचायतों के अनुसूचित टोलों में झंडोत्तोलन तथा ग्राम संसद आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
वहीं, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को छोड़कर जदयू के तमाम नेताओं को अगस्त के दूसरे पखवारे में पटना में नहीं रहने का आदेश पार्टी ने दिया है। सभी नेता को यह कहा गया है कि या तो वो अपने प्रभार के जिले में रहेंगे या अपने कर्मक्षेत्र या अपनी पंचायत में रहकर इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। वो नीतीश सरकार द्वारा राज्य के हर वर्ग, हर समाज के लिए किये गये कार्यों के बारे में लोगों को जानकारी देंगे।
इधर,लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने विशेष रूप से ओबीसी और दलित फैक्टर पर निशाना साधा है। इ भाजपा इस बार मुख्य रूप से बिहार पर विशेष नजर बनाई हुई है। इसकी वजह है कि यहां की राजनीति सीधा सत्ता की कुर्सी तय कर डालती है। यही वजह है भाजपा इस बार बिहार में दलित समुदाय से पिछड़ा समाज से आने वाले सहयोगियों के साथ मिलकर बिहार में 40 लोकसभा सीट पर कब्ज़ा जमाना चाहती है।
यहां वर्तमान में भाजपा के अकेले 17 लोकसभा सांसद हैं जबकि उनके सहयोगियों को मिला दे हैं तो भाजपा के पास सांसदों की संख्या 23 है। जिसमें पशुपति पारस गुट के नेता और चिराग पासवान का नाम शामिल है। ऐसे में अब जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ आने इस संख्या में बढ़ोतरी की संभावना नजर आ रही है।