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1st Bihar Published by: Updated Fri, 20 Nov 2020 01:33:55 PM IST
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PATNA : महज 3 दिनों के लिए नीतीश कैबिनेट में जगह पाने वाले बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और जेडीयू विधायक मेवालाल चौधरी ने अपने इस्तीफे के बाद पहली बार जुबान खोली है. मेवालाल चौधरी ने कहा है कि वह जब तक खुद को पाक साफ साबित नहीं कर देते तब तक कैबिनेट में दोबारा शामिल नहीं होंगे. मेवालाल चौधरी ने कहा है कि उन्होंने खुद मुख्यमंत्री को अपनी तरफ से सब कुछ स्पष्ट तौर पर कह दिया है. पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा है कि वह किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार की छवि के ऊपर आंच नहीं आने देंगे.
नीतीश की छवि खराब नहीं होने देंगे
मेवालाल चौधरी ने कहा है कि वह नीतीश कुमार के सच्चे सिपाही हैं और इस नाते उनका फर्ज बनता है कि अपने नेता की छवि पर कोई आंच ना आने दे. उन्होंने खुद इसीलिए इस्तीफे की पेशकश की और नेतृत्व ने भी उनकी बात स्वीकार की है. मेवालाल चौधरी में गुरुवार को शिक्षा मंत्री का कार्यभार संभालने के चंद घंटे के अंदर ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. मेवालाल चौधरी की तरफ से नीतीश कुमार को जो इस्तीफा भेजा गया उसमें केवल एक लाइन का इस्तेमाल किया गया. मुख्यमंत्री की तरफ से भी मेवालाल के इस्तीफे पर 1 लाइन की अनुशंसा करते हुए उसे मंजूरी के लिए राज्यपाल फागू चौहान के पास भेज दिया गया था.
मेवालाल पर घोटाला का आरोप
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने बिहार के बड़े नौकरी घोटाले के आरोपी को अपना शिक्षा मंत्री बनाया था. मेवालाल चौधरी पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते नौकरी में भारी घोटाला करने का आरोप है. उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने बिहार का राज्यपाल रहते मेवालाल चौधरी के खिलाफ जांच करायी थी और उन पर लगे आरोपों को सच पाया था. ये जांच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुई थी. मेवालाल चौधरी पर सबौर कृषि विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भी घोटाले का आरोप है.
सबसे बड़ी बात ये है कि मेवालाल चौधरी के इस बड़े घोटाले के खिलाफ सत्तारूढ जेडीयू के नेताओं ने भी आवाज उठायी थी. विधान परिषद में जेडीयू विधान पार्षदों ने मेवालाल चौधरी के खिलाफ हंगामा ख़ड़ा कर दिया था. वहीं बाद में बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने इसे जोर शोर से उठाया था. सुशील कुमार मोदी सबूतों का पुलिंदा लेकर तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोबिंद से मिले थे. इसके बाद जांच हुई और जांच में पाया गया कि मेवालाल चौधरी ने कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहते बड़ा घोटाला किया. ये घोटाला 161 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में हुआ था. मेवालाल चौधरी पर लगे आरोपों को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर हमला बोल रही थी. जिसके बाद मेवाला चौधरी ने इस्तीफा दे दिया.