1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 05 Jan 2024 09:24:28 AM IST
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PATNA : सूबे में निकाय चुनाव में ओबीसी समाज को आरक्षण मिलेगा या नहीं इस मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चन्द्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने की है। फिलहाल इस मामले में फैसला सुरक्षित है और यह कब सुनाया जाएगा इसको लेकर कोई डेट तय नहीं किया गया है।
दरअसल, इससे पहले इस मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रविधानों के अनुसार, तब तक स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक राज्य सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं पूरी नहीं कर लेती। ऐसे में अब सवाल यह कि आखिरकार यह तीन आहर्ता है क्या तो इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था, उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की अनुशंसा के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा गया था।
इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयुक्त को आगे की कार्रवाई करने का आदेश दिया था। साथ ही सभी याचिकाओं को निष्पादित कर दिया था।
उधर, कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को समर्पित आयोग के रूप में अधिसूचित किया। समर्पित आयोग की रिपोर्ट को राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया गया और आयोग ने उस रिपोर्ट के आधार पर अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीट आरक्षित कर नगर निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी की। लेकिन, हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने समर्पित आयोग की अधिसूचना और उसकी रिपोर्ट को खारिज कर चुनाव को निरस्त करने हेतु याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद अब इस मामले में सुनवाई हुई है और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।