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1st Bihar Published by: Updated Thu, 16 Dec 2021 01:09:22 PM IST
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PATNA : पटना हाईकोर्ट ने करोना महामारी पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा को काफी गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को ज़िला के सरकारी अस्पतालों के हालात का विस्तृत ब्यौरा तलब किया है.
मिली जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने जो ज़िला के सरकारी अस्पतालों के संबंध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी. कोर्ट ने इसे काफी गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा है. कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी ज़िला के सिविल सर्जनों को ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया है. पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है. कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है.
पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था. कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था.
लेकिन आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर,नर्स व् अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया,उसमें जानकारियां सही नहीं थी. एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन और एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था.