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1st Bihar Published by: Updated Tue, 18 May 2021 08:45:14 PM IST
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PATNA : बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल PMCH में ऑक्सीजन घोटाले की जांच रिपोर्ट सही थी. मंगलवार को पीएमसीएच प्रशासन ने ये स्वीकारा कि हाईकोर्ट की टीम ने जो गड़बड़ी पकड़ी थी वह सही थी. लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई की सूचना कोर्ट को नहीं दी गयी. पीएमसीएच ने कहा कि आगे से ऐसा नहीं हो इसका ख्याल रखा जायेगा औऱ कोर्ट ने इसे मान लिया.
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट की जांच टीम ने बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन का घोटाला पकड़ा था. वह भी तब जब पूरे बिहार में ऑक्सीजन के लिए त्राहिमाम मचा था. हाईकोर्ट के कोर्ट मित्र बनाये गये अधिवक्ता मृगांक मौली ने कोर्ट को पूरे मामले की जानकारी दी थी. मंगलवार को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई.
अस्पताल प्रबंधन ने माना गड़बड़ी हुई
मंगलवार को ऑक्सीजन घोटाले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पीएमसीएच की ओऱ से सीनियर एडवोकेट पीके शाही पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोर्ट मित्र मृगांक मौली ने अपनी रिपोर्ट में जो आंकड़े दिये थे, उस पर कोई सवाल नहीं खड़ा किया जा रहा है. पीएमसीएच प्रशासन को भी जब वह रिपोर्ट मिली तब कार्रवाई की गयी है. अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो उसे ठीक कर लिया गया है. पीएमसीएच प्रबंधन ने कहा कि आगे से ऐसी गड़बड़ी नहीं होगी.
कोर्ट ने पीएमसीएच की इस दलील को मान भी लिया. मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि पीएमसीएच प्रशासन ये अंडरटेकिंग दे कि अब ऑक्सीजन सप्लाई में कोई गड़बड़ी नहीं होगी. अस्पताल में न ऑक्सीजन की कमी होगी और न मरीजों को दिक्कत होगी. पीएमसीएच प्रशासन ने कोर्ट को बताया कि मई महीने के अंत तक अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट काम करना शुरू कर देगा.
सांसों का घोटाला- दोषी कोई नहीं
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जब पीएमसीएच की जांच की गयी थी तब ऑक्सीजन घोटाला सामने आया था. हाईकोर्ट में शिवानी कौशिक औऱ दूसरे लोगों की ओऱ से जारी जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने पीएमसीएच में ऑक्सीजन की खपत की जांच करने को कहा था. ये तब का मामला है जब पूरे बिहार में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था. हर रोज ऑक्सीजन के अभाव में लोगों की ताबड़तोड़ मौत हो रही थी.पटना हाईकोर्ट की जांच टीम ने पाया कि पीएमसीएच में एक दिन में भर्ती हुए मरीजों को डॉक्टर के मानदंड के अनुसार जहां 150 ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत थी, वहां 348 सिलेंडर की खपत दिखा दी गयी. हद ये था कि अस्पताल के महिला
रोग वार्ड में भर्ती तीन महिलाओं पर एक दिन में 32 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत दिखा दिया गया था. जांच में ये निष्कर्ष आने के बाद कोर्ट द्वारा नियुक्त किये गये कोर्ट मित्र मृगांक मौली ने अपनी रिपोर्ट दी थी.