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ठंड के साथ बढ़ता प्रदूषण हृदय के लिए ज्यादा खतरनाक, हृदय रोगी के साथ सामान्य आदमी भी बरतें सतर्कता

1st Bihar Published by: Updated Sat, 11 Dec 2021 01:46:46 PM IST

ठंड के साथ बढ़ता प्रदूषण हृदय के लिए ज्यादा खतरनाक, हृदय रोगी के साथ सामान्य आदमी भी बरतें सतर्कता

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PATNA : पारस अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ एवं विभागाध्यक्ष  डॉ. निशांत त्रिपाठी एवं कंसल्टेंट डॉ. अशोक  कुमार के मुताबिक ठंड में हृदयाघात और मस्तिष्काघात की समस्या बढ़ जाती है. ठंड और बढ़ा प्रदूषण इसे और खतरनाक बना दे रहा है. ऐसे में हृदयरोगी के साथ सामान्य आदमी को भी सतर्क और सावधान रहना चाहिए. ठंड और प्रदूषण से बचकर रहें. शुरुआती ठंड में लोग ज्यादा लापरवाही बरतते हैं. इसी में हृदयाघात या मस्तिष्काघात होता है. इसलिए सुबह-शाम ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है.


दोनों हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार ठंड में ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर का स्तर शरीर में बढ़ जाता है. दरअसल, ठंड में धमनियों में सिकुड़न होता है. इससे रक्तचाप बढ़ जाता है. सिकुड़न की वजह से ब्लॉकेज भी बढ़ता है. इसलिए मस्तिष्काघात के साथ हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती है. मौसम बदलने सें सांस लेने में तकलीफ होती है. इससे हृदय की धड़कन और रक्तचाप बढ़ जाता है. परिणाम स्वरुप  हृदय और मस्तिष्क की समस्या होती है.


डॉ. निशांत और डॉ. अशोक के मुताबिक अचानक ठंड से बचना चाहिए. नियमित व्यायाम करें. ज्यादा ठंड हो तो घर में ही कर लें. तेलयुक्त या हाई कैलोरी खाना से परहेज करें. थोड़ी धूप होने के बाद ही टहलने के लिए निकलें. यदि हृदय रोगी हैं तो ठंड के शुरू में डॉक्टर से मिलकर दवा के डोज पर परामर्श ले लें. दवा नियममित रूप से खाएं. अहले सुबह और शाम में ही हृदयाघात ज्यादा होता है. इसलिए इस समय सतर्क रहें. सितंबर माह में ही कोल्ड वैक्सीन लें ताकि इंफ्लूएंजा से बचाव हो सके.

 

डॉ. अशोक कुमार के मुताबिक ठंड हृदय और नाड़ी सिस्टम के लिए समस्या उत्पन्न करता ही है. प्रदूषण इसे और बढ़ा रहा है. ठंड में अमूमन प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इन दिनों हवा में महीन धूल-कण बढ़ जाते हैं. यह सांस के माध्यम से हमारे फेफड़ा में जमा होता है और सीओपीडी (दमा), फेफड़े का कैंसर, थकान, बैचेनी, घबराहट आदि जैसी समस्या उत्पन्न करता है. हृदय की गति अनियमित हो जाती है. प्रदूषण की वजह से हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज भी बढ़ता है. ये धूल-कण शरीर के सभी अंगों को उत्तेजित करता है जिससे सभी अंग में समस्या होती है. हृदयाघात एवं लकवा की शिकायत का एक कारण प्रदूषण भी है. इससे रक्तचाप बढ़ जा रहा है और धमनियों का लचीलापन भी खत्म हो रहा है. इसलिए घर को धूल-कण मुक्त रखें, प्रकृति के नजदीक रहें. घर में पेड़-पौधा लगाएं और कॉमर्शियल वाहन इस्तेमाल करें. निर्माण कार्य ढ़क कर करना सुनिश्चित करें.