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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 10 Jan 2024 06:12:40 PM IST
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PATNA: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से कांग्रेस ने दूरी बना ली है। कांग्रेस की तरफ से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता ठुकरा दिया गया है। कांग्रेस की तरफ से जारी किए गए पत्र में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी और आरएसएस का इवेंट बताया गया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस से शामिल नहीं होने पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पटना में प्रतिक्रिया दी है।
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का श्रीराम विरोधी चेहरा देश के सामने आ चुका है। यह आश्चर्य की बात नहीं है। स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने कोर्ट में दस्तावेज दिया था कि प्रभू श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं है। एक बार फिर से कांग्रेस ने श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकरा कर अपने राम विरोधी चेहरे को सामने लाया है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि सोनिया गांधी के साथ-साथ इंडी गठबंधन के नेताओं ने प्रभू श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को ठुकरा कर यह बता दिया है कि वो सनातन विरोधी है। दरअसल, 22 जनवरी को अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर में रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम के मुख्य यजमान होंगे। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, अधीर रंजन चौधरी समेत कई विपक्षी नेताओं को निमंत्रण भेजा गया था हालांकि सभी ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली है और इस कार्यक्रम को बीजेपी और आरएसएस का आयोजन बताकर जाने से इनकार कर दिया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में आयोजित होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। हमारे देश में लाखों लोग भगवान राम की पूजा करते हैं। धर्म एक निजी मामला है लेकिन RSS/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है।
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। साल 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए और भगवान राम का सम्मान करने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से RSS-BJP के कार्यक्रम के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है।