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1st Bihar Published by: Updated Mon, 14 Sep 2020 12:53:22 PM IST
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PATNA : कई दशक तक राजनीतिक और सामाजिक जीवन जीने के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह भले ही अपनी अंतिम यात्रा पर निकल गए हो लेकिन बिहार की राजनीति के लिए रघुवंश कहीं नहीं गए हैं. बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल है और इस बार के चुनाव में रघुवंश प्रसाद सिंह की भी खूब चर्चा होने जा रही है रघुवंश प्रसाद सिंह को राजनीतिक मुद्दा बनाने के लिए कवायद शुरू हो गई है. दरअसल अपने आखिरी दिनों में रघुवंश प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल को जिस तरह अलविदा कहा और लालू प्रसाद से लेकर नीतीश कुमार तक को पत्र लिखा. यह सब कुछ अब चुनावी एजेंडे में शामिल होने जा रहा है. हांलाकि रघुवंश प्रसाद सिंह की चिट्ठी पर आरजेडी के नेता सवाल उठा रहे हैं। हाल के दिनों में जिन चिट्ठियों की वजह से रघुवंश प्रसाद सुर्खियो में रहे उन चिट्ठीयों को आरजेडी के कई नेताओं ने सीएम नीतीश कुमार की चाल बताया है।
राष्ट्रीय जनता दल के साथ रघुवंश सिंह ने राजनीति की लेकिन इस्तीफे के बाद रघुवंश किसी और के साथ नहीं गए. इसके बावजूद अब जनता दल युनाइटेड और उसके सहयोगी दलों ने रघुवंश की नाराजगी को आधार बनाते हुए चुनाव में इसे उठाने की रणनीति बना डाली है. रघुवंश प्रसाद सिंह के खुले पत्र को भी चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाने की तैयारी है जिससे उन्होंने अपने अंतिम दौर में लिखा इतना ही नहीं रघुवंश प्रसाद सिंह की वजह से आरजेडी छोड़ कर चले गए इसकी चर्चा भी अब लालू यादव के विरोधी करने वाले हैं.
रघुवंश को लेकर राष्ट्रीय जनता दल और लालू यादव के कुंडे पर जो हमला बोला जाएगा उसका जवाब देना तेजस्वी यादव के लिए भी आसान नहीं होगा. हालांकि रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन से लेकर उनकी अंत्येष्टि तक में तेजस्वी यादव की मौजूदगी इस बात को साबित करने का प्रयास है कि रघुवंश कभी आरजेडी से अलग नहीं हुए. आरजेडी के नेताओं ने दो टूक शब्दों में कहा है कि रघुवंश प्रसाद सिंह ने कभी अपना घर नहीं छोड़ा. एक तरफ तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल के सामने रघुवंश की विरासत को संजोए रखने की चुनौती होगी तो वहीं दूसरी तरफ से विरोधी रघुवंश के बहाने आरजेडी को चुनाव में घेरने की रणनीति पर काम करते नजर आएंगे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि रघुवंश प्रसाद सिंह भले ही इस दुनिया से चले गए हो लेकिन बिहार की सियासत में अभी उनके नाम पर पवार पलटवार का सिलसिला जारी रहेगा.