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समस्तीपुर में रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज का फीका नामांकन, BJP-JDU के नेताओं ने क्यों बना ली दूरी

1st Bihar Published by: Updated Tue, 01 Oct 2019 07:14:30 AM IST

समस्तीपुर में रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज का फीका नामांकन, BJP-JDU के नेताओं ने क्यों बना ली दूरी

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PATNA : समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव में सोमवार को लोजपा के प्रत्याशी और रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज का नामांकन फीका रहा. हालांकि लोजपा कार्यकर्ताओं ने अपने बूते पूरा जोर लगाया लेकिन NDA के दूसरे घटक दलों यानिBJPऔरJDUने नामांकन से दूरी बना ली.

नहीं दिखी NDA की एकजुटता

समस्तीपुर लोकसभा सीट पर उप चुनवा लोजपा सांसद और रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान के निधन के कारण हो रहा है. लोजपा ने वहां स्व. रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज को उम्मीदवार बनाया है. सोमवार को प्रिंस राज ने नामांकन किया. इस दौरान उनके परिवार की एकजुटता जरूर दिखी. रामविलास पासवान खुद नामांकन में मौजूद थे तो चिराग पासवान टीका लगाकर अपने चचेरे भाई को जीत का आशीर्वाद दे रहे थे. लेकिन NDA की एकजुटता नजर नहीं आयी. नामांकन के समय जदयू के एक मंत्री महेश्वर हजारी पहुंचे थे. लेकिन वे नामांकन केंद्र के परिसर के बाहर ही रह गये. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक महेश्वर हजारी न खुद नामांकन के दौरान निर्वाची पदाधिकारी के कक्ष में गये न उन्हें किसी लोजपा नेता ने अंदर आने को कहा. हजारी रामविलास पासवान के संबंधी भी हैं लेकिन उनके बीच सियासी प्रतिद्वंदिता जगजाहिर है. प्रिंस राज के नामांकन के दौरान बीजेपी का भी कोई प्रमुख नेता मौजूद नहीं रहा. ये भी लोगों के बीच चर्चा का विषय था.

चिराग पासवान के न्योते के बाद भी क्यों नहीं पहुंचे नेता

चार दिन पहले ही चिराग पासवान ने खुद नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी से मिलकर समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव में NDA की एकजुटता दिखाने की गुहार लगायी थी. चिराग ने अपने चचेरे भाई प्रिंस राज के लिए नीतीश कुमार और सुशील मोदी की मदद भी मांगी थी. लेकिन दोनों का रिस्पांस बेहद ठंढा था. नामांकन के दौरान ये झलक भी गया. सूत्रों की मानें तो NDA के अंदर भारी तल्खी का दौर चल रहा है. जदयू-भाजपा के बीच शीतयुद्ध की चर्चायें आम है. प्रिंस राज के नामांकन में इसका असर दिखा. हालांकि रामविलास पासवान के भाजपा और जदयू दोनों के नेताओं से मधुर संबंध हैं. लिहाजा चुनाव प्रचार के दौरान दोनों पार्टियों के प्रदेश स्तरीय नेता प्रचार करने जा सकते हैं.