BIHAR: हिंदू स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ताओं ने NDA उम्मीदवार को खदेड़ा, दिखाया काला झंडा CBSE Board Exam 2026: CBSE 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम की फाइनल डेटशीट जारी, दो बार होगी दसवीं की परीक्षा CBSE Board Exam 2026: CBSE 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम की फाइनल डेटशीट जारी, दो बार होगी दसवीं की परीक्षा Bihar Politics: ‘14 नवंबर को बिहार की जनता देगी जवाब’, युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला Bihar Politics: ‘14 नवंबर को बिहार की जनता देगी जवाब’, युवा चेतना सुप्रीमो रोहित सिंह का तेजस्वी यादव पर बड़ा हमला Bihar Election 2025: गौराबौराम से VIP के संतोष सहनी महागठबंधन के उम्मीदवार घोषित, तेजस्वी यादव ने दिया जीत का आशीर्वाद Bihar Election 2025: गौराबौराम से VIP के संतोष सहनी महागठबंधन के उम्मीदवार घोषित, तेजस्वी यादव ने दिया जीत का आशीर्वाद Bihar Election 2025: बिहार में राजनीतिक रंजिश को लेकर मारपीट, ‘हाथी’ बनाम ‘लालटेन’ के विवाद को लेकर बवाल Test Cricket : टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार होगा बड़ा बदलाव, लंच और टी ब्रेक का क्रम बदला जाएगा; जानिए क्या है वजह Bihar Voter Service : चुनावी सहायता अब आसान, बीएलओ के साथ करें कॉल बुक, इस टोल फ्री नंबर पर हल होंगी सभी दुविधाएं
1st Bihar Published by: neeraj kumar Updated Wed, 04 Aug 2021 04:38:54 PM IST
 
                    
                    
                    - फ़ोटो
SAHARSA: सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा कर रही है लेकिन सहरसा से जो तस्वीर निकलकर सामने आई है उसे देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पतालों की स्थिति क्या है। हम बात सहरसा सदर अस्पताल की कर रही है जहां बड़ी लापरवाही सामने आई है।

दरअसल एक वर्ष के मासूम को सांप ने काट लिया था जिसके बाद परिजन आनन-फानन में उसे सहरसा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। बच्चे की स्थिति गंभीर थी इसलिए उसे अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कर लिया गया लेकिन अस्पताल में उस वक्त बिजली नहीं थी।

आपकों जानकर आश्चर्य होगा कि अस्पताल के जेनरेटर में डीजल नहीं था जिसके कारण पूरे अस्पताल में अंधेरा छाया हुआ था। बिजली जाने के बाद जेनरेटर संचालक डीजल लाने के लिए पेट्रोल पंप के लिए रवाना हुआ। इस दौरान करीब 45 मिनटों तक बच्चे का इलाज मोबाइल के टॉर्च लाइट में किया गया। अस्पताल प्रशासन भी पौन घंटे तक मूकदर्शक बना रहा।
 
बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना था कि सांप काटने से बच्चे की हालत गंभीर हो गयी थी। बच्चे का तुरंत इलाज करना बेहद जरूरी था। अस्पताल में उस वक्त लाइट नहीं थी इसलिए मोबाइल टॉर्च के सहारे बच्चे का इलाज किया गया।

प्यास लगने पर कुआँ खोदने वाली कहावत सहरसा सदर अस्पताल में चरितार्थ होती दिखी। जहां बिजली गुल होने के बाद ही जेनरेटर चलाने के लिए पेट्रोल पंप से डीजल लाया गया। जबकि अस्पताल में इमरजेंसी मरीज कभी भी आ सकते हैं। इसका ख्याल अस्पताल प्रशासन को रखना चाहिए था। आखिर सदर अस्पताल में इस तरह की लापरवाही क्यों बरती गयी यह बड़ा सवाल है। मोबाइल टार्च की रोशनी में इलाज करना कितना उचित है? इन सवालों का जवाब कोसी के पीएमसीएच के नाम से प्रसिद्ध सहरसा सदर अस्पताल प्रबंधन को देना होगा।
