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शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप, कई जिलों ने अबतक नहीं जारी की मेरिट लिस्ट

1st Bihar Published by: Updated Thu, 22 Jul 2021 03:26:31 PM IST

शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप, कई जिलों ने अबतक नहीं जारी की मेरिट लिस्ट

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PATNA : बिहार में एक बार फिर शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. 5 जुलाई से 12 जुलाई के बीच हुई 1500 से ज्यादा अभ्यर्थियों की काउंसलिंग में पंचायत स्तर पर कई जिलों ने या तो मेरिट लिस्ट जारी नहीं की है या फिर कईयों ने बस खानापूर्ति कर छोड़ दिया है. 


एनआईसी वेबसाइट पर दरभंगा समेत कई जिलों ने लिस्ट जारी नहीं की. भोजपुर समेत कई जिलों में लिस्ट प्रकाशित की गई जिसमें महत्वपूर्ण जानकारियां गायब हैं. पटना जिले में जो चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी हुई है. उसपर गौर करें तो इसमें चयनित अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम, रोस्टर के अनुसार कैटेगरी, चयन किस कैटेगरी में हुआ है, ये सभी जानकारी मेरिट अंक समेत उपलब्ध कराई गई हैं. जिससे यह स्पष्ट समझा जा सकता है कि किस आधार पर नियोजन इकाई ने अभ्यर्थी की काउंसलिंग कराई है.



वहीं दूसरी ओर भोजपुर की लिस्ट पर गौर करें तो इसमें सारी महत्वपूर्ण जानकारियां गायब हैं ताकि किसी को यह पता ना चल सके कि किस आधार पर अभ्यर्थी का चयन हुआ है. ना तो अभ्यर्थी का मेधा अंक दिया गया है और ना ही कैटेगरी की जानकारी दी गई है. शिक्षा विभाग का यह स्पष्ट निर्देश था कि 20 जुलाई तक सभी नियोजन इकाइयों को काउंसलिंग में चयनित अभ्यर्थियों की कंप्लीट लिस्ट एनआईसी की वेबसाइट पर जारी करनी है. ताकि सार्वजनिक तौर पर यह पता चल सके कि काउंसलिंग में पारदर्शिता बरती गई है.

शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद बड़ी संख्या में नियोजन इकाइयों ने इसकी अवहेलना की है. इसमें भोजपुर तो पहले नंबर पर है. वहीं, दरभंगा ने अब तक एनआईसी पर कोई लिस्ट ही जारी नहीं की है. विभाग का निर्देश है कि पारदर्शी तरीके से नियोजन में काउंसलिंग होनी चाहिए ताकि योग्य अभ्यर्थी का चुनाव हो सके. लेकिन कई पंचायत इकाइयों में जमकर धांधली की गई. जिसके बाद 473 पंचायत योजन इकाइयों में काउंसलिंग रद्द करनी पड़ी. जिन नियोजन इकाइयों में काउंसलिंग कराई गई वहां धांधली छुपाने के लिए एनआईसी की वेबसाइट पर शिक्षा विभाग के आदेश की अवहेलना करते हुए लिस्ट जारी नहीं की गई. वहीं कहीं अगर लिस्ट भी जारी की गई है तो उसमें भी पारदर्शिता का अभाव है.