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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Wed, 26 Jul 2023 04:49:32 PM IST
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PATNA: बिहार में विकास भले ही आम लोगों को दिख ही नहीं रहा हो, लेकिन इस पर सियासी बयानबाजी खूब हो रही है. कल नीतीश कुमार के दो खास मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया कि नीतीश ने अपने विजन से बिहार में विकास की गंगा बहा दी है. बिहार के मंत्रियों विजय चौधरी और विजेंद्र यादव ने केंद्र सरकार को जमकर कोसा और कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बिहार के साथ हकमारी की. आज बीजेपी ने उसका जवाब दिया है.
बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि केंद्र की एनडीए सरकार में बिहार के लिए खजाना खोल दिया. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कोई हकमारी नहीं हुई , बल्कि यूपीए के दस साल की तुलना में पिछले नौ साल में बिहार को 5 लाख 22 हजार 768 करोड़ रुपये ज्यादा मिले.
बिहार का नुकसान तो नीतीश कुमार के कारण हुआ है. नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति के चलते सात साल में राज्य को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित रहना पड़ा. जबकि नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में भी बिहार को पिछली यूपीए सरकार की तुलना में 2 लाख 50 हजार 552 करोड़ रुपये अधिक दिया है.
सुशील मोदी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सहायता अनुदान ( ग्रांट इन एड ) के तौर पर बिहार को यूपीए के दस साल ( 2004-2014) की अपेक्षा एनडीए के नौ साल (2014-2023) में 1 लाख 81हजार 216 करोड़ रुपये अधिक दिये. सुशील मोदी ने कहा कि वित्त मंत्री विजय चौधरी और योजना मंत्री बिजेंद्र यादव बतायें कि विभिन्न मदों में अधिक धनराशि देने के साथ पीएम पैकेज भी देना बिहार की हकमारी कैसे है.
सुशील मोदी ने कहा कि देश की आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी एक झटके में 32 से बढा कर 42 फीसद कर दी. 10 फीसद की वृद्धि से बिहार जैसे पिछड़े राज्य को सर्वाधिक लाभ हुआ. जिस एनडीए सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य को ज्यादा हिस्सा दिया, उस पर जदयू-राजद के लोग हकमारी करने का झूठा आरोप लगा रहे हैं.
इस थेथरोलॉजी का जवाब कोई अर्थशास्त्री नहीं दे सकता. उन्होंने कहा कि 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष तो जदयू के पूर्व सांसद और बिहार के अर्थशास्री एन के सिंह थे. क्या जदयू बिहारी अर्थशास्री पर बिहार की हकमारी का आरोप लगाना चाहता है? सुशील मोदी ने कहा कि वित्त आयोग ने सभी राज्यों के लिए फंडिंग पैटर्न बदला और इससे सबको लाभ हुआ.