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1st Bihar Published by: Updated Tue, 06 Oct 2020 11:11:16 AM IST
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DESK : टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है. इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है. फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है. बताते चलें कि सबसे कॉमन फेफड़ों की टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है.
टीबी दो तरह की होती है. पहली, टीबी (क्षय रोग) एक घातक संक्रामक रोग है, जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है. दूसरी, टीबी (क्षय रोग) आम तौर पर ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करती है, लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है. यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है.
टीबी (क्षय रोग) के लक्षण :
1) लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना.
2) खांसी के साथ खून का आना.
3) छाती में दर्द और सांस का फूलना.
4) वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना.
5) शाम को बुखार का आना और ठण्ड लगना.
6) रात में पसीना आना.
इससे बचने का उपाय :
1. क्षय रोग की रोकथाम और नियंत्रण के लिए मुख्य रूप से शिशुओं के बैसिलस कैल्मेट-ग्यूरिन (बीसीजी) का टीकाकरण कराना चाहिए. बच्चों में यह 20% से ज्यादा संक्रमण होने का जोखिम कम करता है.
2. सक्रिय मामलों के पता लगने पर उनका उचित उपचार किया जाना चाहिए. टीबी रोग का उपचार जितना जल्दी शुरू होगा उतनी ही जल्दी रोग से निदान मिलेगा.
3. टीबी रोग से संक्रमित रोगी को खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए, और भीड़-भाड़ वाली जगह पर या बाहर कहीं भी नहीं थूकना चाहिए.
4. साफ-सफाई के ध्यान रखने के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखने से भी टीबी के संक्रमण से बचा जा सकता है.
5. ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैट युक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. अगर व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो भी टीबी रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है.