उपचुनाव में सरकारी खेल: चुनाव आयोग ने कुशेश्वरस्थान में तैनात किये गये दागी डीएसपी को हटाया, राजद ने सबूतों के साथ सौंपा था ज्ञापन

उपचुनाव में सरकारी खेल: चुनाव आयोग ने कुशेश्वरस्थान में तैनात किये गये दागी डीएसपी को हटाया, राजद ने सबूतों के साथ सौंपा था ज्ञापन

PATNA: बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव में सरकारी खेल पर चुनाव आयोग की गाज गिरी है. चुनाव आय़ोग ने कुशेश्वरस्थान में तैनात किये गये दागी डीएसपी दिलीप झा को तत्काल हटाने का निर्देश दिया है. गंभीर मामलों के आरोपी दिलीप कुमार झा पर राज्य सरकार ने ही कार्रवाई की थी लेकिन अचानक से उन्हें कुशेश्वरस्थान के उप चुनाव में 25 बूथों का जिम्मा दे दिया गया था. राजद ने इसके खिलाफ चुनाव आयोग से गुहार लगायी थी, जिसके बाद आयोग ने निर्देश जारी किया है.


दागी डीएसपी की तैनाती का खेल

बिहार पुलिस के डीएसपी हैं दिलीप कुमार झा. दिलीप कुमार झा कई गंभीर मामलों के आरोपी हैं. पिछले सितंबर महीने तक वे दरभंगा जिले के बिरौल अनुमंडल में डीएसपी के पद पर तैनात थे. गंभीर आरोपों के मद्देजन 9 सितंबर 2021 को दिलीप कुमार झा को बिरौल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पद से तबादला कर दिया गया था. उन्हें बगहा स्थित बीएमपी-15 में भेज दिया गया था. दिलचस्प बात ये है कि सरकार ने उससे पहले ही अपनी जांच में दिलीप झा को भ्रष्टाचार से लेकर दूसरे गंभीर मामलों का आऱोपी पाया था औऱ उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की थी. लेकिन सरकार द्वारा विभागीय कार्यवाही करने का आदेश जारी होने के सवा साल बाद तक वे बिरौल के एसडीपीओ पद जैसे मालदार पद पर तैनात रहे.


लेकिन सबसे दिलचस्प खेल कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने के एलान के बाद हुआ. 9 सितंबर को दरभंगा के बिरौल से हटाकर बगहा में बीएमपी में भेज दिये गये दिलीप कुमार झा को सरकार ने फिर से दरभंगा भेज दिया. हालांकि चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू थी लिहाजा डायरेक्ट फील्ड में पोस्टिग तो नहीं की जा सकती थी. लिहाजा दिलीप कुमार झा को दरभंगा के आईजी कार्यालय में डीएसपी बना कर भेज दिया गया. 


दागी डीएसपी को 25 बूथों का जिम्मा

दरभंगा से बगहा औऱ फिर बगहा से दरभंगा लाये गये दिलीप कुमार झा का रोल लोगों को तब समझ में आया जब सरकारी आदेश आये. दरभंगा आईजी कार्यालय में तैनात दिलीप झा को दरभंगा के बिरौल में प्रतिनियुक्त भी कर दिया गया. बिरौल पुलिस अनुमंडल के क्षेत्र में ही कुशेश्वरस्थान का इलाका आता है. फिर उप चुनाव में मतदान कराने के लिए पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का आदेश जारी किया गया. बिहार सरकार के निर्वाचन विभाग ने वोटिंग कराने के लिए पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का आदेश निकाला उसमें दिलीप कुमार झा को 25 बूथों पर वोटिंग के दौरान सुरक्षा व्यवस्था संभालने का जिम्मा दे दिया गया. 


राजद की शिकायत पर हुई कार्रवाई

दिलीप कुमार झा की भूमिका को लेकर राजद के सांसद मनोज कुमार झा ने 22 अक्टूबर को ही चुनाव आय़ोग से शिकायत की थी. उन्होंने चुनाव आय़ोग को लिखे गये पत्र में कहा था कि दरभंगा के बिरौल में डीएसपी पद पर चार-पांच सालों तक तैनात रहे दिलीप झा को फिर से उसी इलाके में प्रतिनियुक्ति पर लाया गया है. उन्हें बिरौल में तीन महीने के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया है. उनकी तैनाती से निष्पक्ष मतदान और चुनाव नहीं होने की आशंका है. 22 अक्टूबर को राजद के इस पत्र के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. दिलीप कुमार झा को 25 बूथों का जिम्मा सौंप दिया गया.


ऐसे में 28 अक्टूबर को फिर से राजद ने दिल्ली से लेकर पटना तक चुनाव आय़ोग से गुहार लगायी. दिलीप कुमार झा के दागी होने से लेकर उनकी ट्रांसफर पोस्टिंग में हुए खेल की जानकारी चुनाव आय़ोग को दी गयी. इसके बाद चुनाव आय़ोग हरकत में आया है. चुनाव आयोग ने दिलीप कुमार झा को कुशेश्वरस्थान में हो रहे चुनाव  से अलग करने का निर्देश जारी किया है. चुनाव आयोग ने ये आदेश राज्य सरकार को भेज दिया है.


कौन हैं दिलीप कुमार झा

पुलिस सूत्र बताते हैं कि दिलीप कुमार झा का करियर शुरू से ही दागी रहा है. ट्रेनी डीएसपी रहते ही उनके खिलाफ मुजफ्फरपुर में एक बच्चे के अपहरण में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगा था. राज्य सरकार ने उन्हें रातो रात मुजफ्फरपुर से हटाया था. हालांकि नीतीश सरकार आने के बाद उन्हें लगातार मलाईदार पोस्टिंग मिलती रही. राज्य सरकार के गृह विभाग ने अपनी जांच में पाया था कि कैमुर का डीएसपी रहते दिलीप झा ने भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में बडा खेल किया. जो दोषी थे उन्हें छोड़ दिया औऱ निर्दोष व्यक्ति को अभियुक्त बना दिया. 2011 के ही इस मामले में काफी दिनों तक फाइल सरकारी दफ्तर में पडी रही. बाद में राज्य सरकार के गृह विभाग ने 2020 में आदेश निकाला और दिलीप कुमार झा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का फैसला लिया.


सरकार ने 2020 के जून महीने में जब दिलीप कुमार झा के खिलाफ कार्यवाही का आदेश निकाल तो वे दरभंगा के बिरौल में एसडीपीओ थे. कार्यवाही का आदेश निकलने के सवा साल बाद तक वे उसी पद पर बने रहे. हालांकि जब शोर शराबा हुआ तो इस साल 9 सितंबर को उन्हें दरभंगा से हटाकर बगहा भेजने का ट्रांसफर आर्डर निकाला गया. लेकिन चुनाव आया तो फिर से दरभंगा बुला लिया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दिलीप कुमार झा बिहार सरकार के एक कद्दावर मंत्री के खास माने जाते हैं. तभी उन्हें लगातार मलाईदार पोस्टिंग मिलती रही है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार उन पर खास मेहरबान रही।