ब्रेकिंग न्यूज़

बेगूसराय में बाढ़ का कहर: 12 घंटे में 7 की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप BIHAR: गंगा नदी में 100 KM बहकर बचा शख्स, बेंगलुरु से आने के बाद पटना में लगाई थी छलांग Bihar News: बिहार में पानी में डूबने से दो सगी बहनों की मौत, छोटी सी गलती और चली गई जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: बिहार के स्कूल-कॉलजों में खुलेगी डिजिटल लाइब्रेरी, इतने करोड़ खर्च करेगी नीतीश सरकार

वैक्सीन एक्सपर्ट का दावा कोरोना वायरस मिटाने के लिए इंजेक्शन नहीं नेज़ल स्प्रे बेहतर

1st Bihar Published by: Updated Tue, 01 Sep 2020 02:28:20 PM IST

वैक्सीन एक्सपर्ट का दावा कोरोना वायरस मिटाने के लिए इंजेक्शन नहीं नेज़ल स्प्रे बेहतर

- फ़ोटो

DESK :  आपने डॉक्टर के पास बहुत से ऐसे लोगों को देखा होगा जो इंजेक्शन लगवाने में घबराते हैं. कुछ लोग तो इतने डरे होते हैं कि रोने भी लगते हैं. ऐसे लोगों को अब डरने की जरुरत नहीं है क्योंकि अभी जिस वैक्सीन को बनाने में पूरी दुनिया लगी हुई है उसे इंजेक्शन से नहीं दिया जाएगा. 

कोरोना वायरस की महामारी से दुनिया को बचाने के लिए विश्व के जाने माने वैज्ञानिक कई दिनों से काम कर रहे हैं. इस महामारी से लड़ने के लिए कोई एक वैक्सीन पर काम नहीं चल रहा, बल्कि  सैकड़ों वैक्सीन पर काम जारी है. इन में से कई वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चूका है. पर वैज्ञानिकों का मानना है कि, यदि इस वैक्सीन को नेज़ल स्प्रे (नाक के जरिए) के जरिए दिया जाये तों ये शारीर में पहुंच कर ज्यादा बेहतर ढंग से काम करेगा. 

बर्मिंघम की अल्बामा यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट और वैक्सीन डेवलपर फ्रांसिस कहती हैं कि क्लीनिकल ट्रायल में मौजूद ज्यादातर वैक्सीन मसल इंजेक्शन के जरिए बॉडी में डिलीवर किए जाते हैं. वैक्सीन को हाथ के ऊपरी हिस्से की तरफ लगाया जाता है. मांसपेशियों में इंजेक्शन का इम्यून पर अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिलता है. इसी वजह से ज्यादातर वैक्सीन डेवलपर यहीं से शुरुआत करते हैं.

फ्रांसिसी एक वैक्सीन निर्माता कंपनी 'अल्टइम्यून' के साथ काम करती हैं. उन्होंने बताया कि मांसपेशियों में इंजेक्शन का 'सिस्टमैटिक रिस्पॉन्स' तो मिलता है, लेकिन 'लोकल रिस्पॉन्स' नहीं मिल पाता है. जेनेटिक एंटीबॉडीज जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में खून के जरिए पहुंचती है, उसे सिस्टमैटिक रिस्पॉन्स कहा जाता है.

लेकिन जैसा की हम जानते हैं कोरोना वायरस एक रेस्पिरेटरी वायरस है. इसके  इंफेक्शन की शुरुआत आमतौर पर नाक या गले से ही होती है. इस तरह के इंफेक्शन बॉडी के आबदार जाने से पहले काफी देर तक नाक और गले में रहते हैं.

ऐसे में मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन रोगी को एक बड़े खतरे से तो बचा सकती है, लेकिन गले और नाक में दवा ना जाने की वजह से इंफेक्शन फैलने का खतरा तब भी बना रहता है. नाक में सीधे वैक्सीन जाने से एक अलग तरह की इम्यूनिटी बढ़ती है, जो नाक और गले के बीच पाई जाने वाली एक लाइन की कोशिका में होता है.

फ्रांसिसी ने बताया कि 'इंट्रानेजल रूट' के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन भी सिस्टमैटिक इम्यूनिटी पर असर दिखाती है. सिस्टमैटिक इम्यूनिटी गंभीर रोगों से शरीर को बचाने का काम करती है. जबकि लोकल इम्यूनिटी नाक और गले के इंफेक्शन को खत्म करती है, जिससे छींकने या खांसने पर ड्रॉपलेट्स के जरिए बाहर इंफेक्शन फैलता है.