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Amla Ekadashi 2025: कब है आंवला एकादशी; शुभ योग, पूजा विधि और महत्व

आंवला एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है, जिसे फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और आंवले के वृक्ष का पूजन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 07 Mar 2025 09:00:25 PM IST

Amla Ekadashi

Amla Ekadashi - फ़ोटो Amla Ekadashi

Amla Ekadashi 2025: आंवला एकादशी, जिसे फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हर वर्ष महाशिवरात्रि और होली के बीच आती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और आंवले का भोग अर्पित किया जाता है। वर्ष 2025 में आंवला एकादशी को विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन तीन शुभ योग का निर्माण हो रहा है और 68 मिनट का भद्रा काल भी उपस्थित रहेगा।


आंवला एकादशी 2025 की डेट और समय

एकादशी तिथि प्रारंभ – 9 मार्च 2025, सुबह 06:15 बजे

एकादशी तिथि समाप्त – 10 मार्च 2025, सुबह 06:14 बजे

व्रत रखने का दिन (उदयातिथि के अनुसार) – 10 मार्च 2025, सोमवार


इस बार बन रहे हैं तीन शुभ योग

सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 06:36 बजे से रात 12:51 बजे तक

शोभन योग – सुबह से दोपहर 1:57 बजे तक

पुष्य नक्षत्र – पूरे दिन सक्रिय रहेगा, रात 12:51 बजे समाप्त होगा


पूजा का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:59 बजे से 5:48 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:08 बजे से 12:55 बजे तक

सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ – सुबह 6:36 बजे से

ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है, विशेष रूप से जब यह शोभन योग के साथ होता है, जो जीवन में समृद्धि और सफलता का प्रतीक है।


व्रत पारण (उपवास खोलने) का सही समय

व्रत समाप्त करने की प्रक्रिया को पारण कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, द्वादशी तिथि में पारण करना अनिवार्य है, किंतु हरि वासर (द्वादशी का पहला चौथाई भाग) के दौरान व्रत का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। सर्वोत्तम समय प्रात:काल होता है, जबकि मध्यान्ह में पारण करने से परहेज करना चाहिए।

व्रत पारण का समय – 11 मार्च 2025

पारण मुहूर्त – सुबह 06:11 बजे से 06:43 बजे तक

द्वादशी समाप्ति का समय – सुबह 06:43 बजे


आंवला एकादशी का महत्व

आंवला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करना और आंवला का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। जो लोग इस दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


आंवला एकादशी की पूजा विधि

प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें।

आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और उसकी पूजा करें।

आंवला और तुलसी के पत्तों का भोग भगवान विष्णु को अर्पित करें।

दिनभर व्रत रखें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।

एकादशी कथा का पाठ करें और दूसरों को भी सुनाएं।

जरूरतमंदों को भोजन और आंवले का दान करें।

आंवला एकादशी 2025 विशेष संयोगों के कारण अत्यंत शुभ मानी जा रही है। इस दिन व्रत और पूजा विधि का पालन करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी प्राप्त होती है। इसलिए, इस पावन अवसर पर व्रत और पूजा अवश्य करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।