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Chaitra Amavasya 2025: कब मनाई जाएगी चैत्र अमावस्या, पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए करें ये उपाय

अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इस दिन पितरों की पूजा और तर्पण करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। चैत्र अमावस्या का दिन विशेष रूप से उन जातकों के लिए महत्वपूर्ण होता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Mar 2025 07:30:38 AM IST

Chaitra Amavasya 2025

Chaitra Amavasya 2025 - फ़ोटो Chaitra Amavasya 2025

Chaitra Amavasya 2025: अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उत्तम होता है। चैत्र अमावस्या का अवसर उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो अपने पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहते हैं और पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान, दान-पुण्य और पितरों का तर्पण करने से जीवन की कई समस्याओं का समाधान होता है और सुख-समृद्धि का संचार होता है।


चैत्र अमावस्या 2025 की डेट और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में चैत्र अमावस्या 29 मार्च को पड़ रही है। यह दिन पितृ तर्पण, स्नान और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि का प्रारंभ 28 मार्च की रात 11:12 बजे से होगा और इसका समापन 29 मार्च की रात 09:45 बजे होगा।


पितरों की कृपा प्राप्ति के उपाय

पवित्र स्नान और तर्पण: इस दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर में स्नान करके पितरों का तर्पण करें। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

पितृ पूजन और हवन: इस दिन अपने पितरों के नाम से हवन और श्राद्ध कर्म करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं।

दान और अन्न सेवा: जरूरतमंदों को भोजन कराएं और वस्त्र, धन अथवा अन्न का दान करें। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करें। इससे पितरों की कृपा बनी रहती है और जीवन में शांति आती है।

सर्वपितृ मंत्र का जाप: इस दिन "ॐ पितृभ्यः नमः" मंत्र का जाप करने से पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।


पितृ दोष निवारण के उपाय

शिवलिंग पर जल और काले तिल अर्पित करें।

भगवान विष्णु और शिव जी की आराधना करें।

ब्रह्म मुहूर्त में ‘पितृ सूक्त’ का पाठ करें।

गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोजन कराएं।

घर में भगवद गीता का पाठ करें और श्राद्ध कर्म संपन्न करें।


चैत्र अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

चैत्र अमावस्या आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी उत्तम समय माना जाता है। इस दिन व्रत और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन किए गए दान और पुण्य कर्म कई गुना अधिक फल देते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखता है, जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना करते हैं।


चैत्र अमावस्या केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि पितरों के प्रति श्रद्धा और आस्था प्रकट करने का महत्वपूर्ण अवसर भी है। इस दिन किए गए पूजन, तर्पण, और दान-पुण्य से न केवल पितरों की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता भी सुनिश्चित होती है। अतः इस दिन विशेष अनुष्ठान करने से परिवार की उन्नति और पितृ दोष निवारण संभव है।