ब्रेकिंग न्यूज़

Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ Bihar News: अब बिहार से भी निकलेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवा दिखाने वाले धावक, इस शहर में तैयार हुआ विशेष ट्रैक Dularchand Yadav case : मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड में चौथा FIR दर्ज ! अनंत सिंह और जन सुराज के पीयूष नामजद; पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब बदलेगा माहौल Bihar Election 2025: "NDA ही कर सकता है बिहार का विकास...", चुनाव से पहले CM नीतीश का दिखा नया अंदाज, सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर किया वोट अपील Bihar Election 2025: NDA ने तय किया विकसित बिहार का विजन, घोषणा पत्र पर पीएम मोदी ने की बड़ी बात Bihar News: बिहार के इस जिले में 213 अपराधी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार व नकदी जब्त Bihar News: बिहार से परदेश जा रहे लोगों की ट्रेनों में भारी भीड़, वोट के लिए नहीं रुकना चाहते मजदूर; क्या है वजह? Bihar News: भीषण सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत, फरार चालक की तलाश में जुटी पुलिस

अघोरी साधु और नागा बाबा में होता है अंतर, जानें कौन होता है शुद्ध शाकाहारी

अघोरी साधु और नागा बाबा दोनों ही भारतीय तंत्र साधना और योग की गहरी परंपराओं से जुड़े हुए हैं, लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। ये दोनों अलग-अलग मार्गों पर चलते हैं और अपनी साधना में भिन्नताएँ रखते हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 21 Jan 2025 07:50:34 AM IST

 Aghori Sadhu

Aghori Sadhu - फ़ोटो Aghori Sadhu

भारत की धार्मिक परंपरा में अघोरी साधु और नागा बाबा दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, लेकिन इन दोनों के साधना मार्ग और जीवनशैली में कई अंतर हैं। ये दोनों ही पंथ तंत्र विद्या, साधना, और भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन इनकी साधना पद्धतियाँ और रहन-सहन में बहुत भिन्नताएँ हैं।


1. नागा बाबा कौन होते हैं?

नागा बाबा वे साधु होते हैं जो कुंडलिनी हठ योग की साधना करते हैं। यह योग पवित्र और गहन ध्यान के माध्यम से आत्मा की उन्नति के लिए किया जाता है। नागा साधु खुद को भगवान शिव के अनन्य भक्त मानते हैं और शंकराचार्य को अपना गुरु मानते हैं। वे दशनामी संप्रदाय के अनुयायी होते हैं और शिव की उपासना करते हैं।


नागा साधु अधिकतर जंगलों, हिमालय के ऊपरी इलाकों, और सूनसान मंदिरों में निवास करते हैं। वे हर छह से बारह साल में आयोजित होने वाले कुंभ मेले में स्नान करने के लिए आते हैं, जो उनके लिए एक पवित्र अवसर होता है। इन साधुओं का जीवन पूरी तरह से तप और साधना में लीन होता है, जिसमें वे भिक्षाटन करते हुए अपना जीवन यापन करते हैं। वे शाकाहारी होते हैं और भोजन के लिए वे केवल सात घरों तक ही जाते हैं।


2. अघोरी साधु कौन होते हैं?

अघोरी साधु का शब्दार्थ 'उजाले की ओर' होता है, लेकिन इनका रहन-सहन और साधना इन अर्थों के विपरीत होते हैं। अघोरी साधु को आमतौर पर 'शिव के अघोर रूप' की उपासना करने वाले साधु माना जाता है। वे शव साधना, शिव साधना और श्मशान साधना करते हैं। इन साधनाओं में शवों का भोग, तंत्र मंत्र और श्मशान में हवन शामिल होता है। अघोरी साधु अपने गुरु भगवान दत्तात्रेय को मानते हैं और वे गुप्त तांत्रिक विधियों से साधना करते हैं। वे मानव खोपड़ी का उपयोग करते हैं, काले कपड़े पहनते हैं, और चिता भस्म से अपने शरीर को आच्छादित करते हैं। उनका उद्देश्य खुद को पूरी तरह से शिव में समाहित करना होता है।


3. साधना में अंतर

नागा बाबा: नागा बाबा की साधना में मुख्य रूप से हठ योग और ध्यान की पवित्र प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। वे एक संगठित समूह में रहते हैं और उनकी साधना का उद्देश्य आत्म-शुद्धि और दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है। वे केवल भिक्षाटन के जरिए जीवन यापन करते हैं और शाकाहारी होते हैं। अघोरी साधु: अघोरी साधु तंत्र मंत्र और शव साधना में विश्वास रखते हैं। वे शवों की पूजा, तंत्र साधना और श्मशान में हवन करने का अभ्यास करते हैं। अघोरी साधु एकांत साधना करते हैं और वे पारंपरिक धार्मिक नियमों से बाहर रहते हैं।


4. रहन-सहन और जीवनशैली में अंतर

नागा बाबा: नागा बाबा साधारण जीवन जीते हैं और वे जंगलों या हिमालय में साधना करते हैं। वे अपने जीवन को पूरी तरह से भगवान के प्रति भक्ति और ध्यान में समर्पित करते हैं। उनका जीवन एक तपस्वी जीवन होता है। वे कभी-कभी कुंभ मेले में जाते हैं, जो उनके लिए एक खास अवसर होता है। अघोरी साधु: अघोरी साधु श्मशान घाटों, नदियों के किनारों या घने जंगलों में रहते हैं। वे अपने जीवन में शव साधना और तंत्र विद्या के माध्यम से शिव के अघोर रूप की उपासना करते हैं। उनका जीवन बहुत ही अलग और कठिन होता है, जिसमें वे सामान्य समाज से अलग रहते हैं और सामाजिक मर्यादाओं से दूर रहते हैं।


5. मांसाहार और गाय का मांस

अघोरी साधु सभी प्रकार के मांस का सेवन करते हैं, लेकिन वे गाय का मांस कभी नहीं खाते क्योंकि गाय को हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। वे गाय को गोमाता के रूप में पूजते हैं और उसे देवी के रूप में सम्मान देते हैं। वहीं, नागा बाबा आमतौर पर शाकाहारी होते हैं और वे मांसाहार से दूर रहते हैं।


अघोरी साधु और नागा बाबा दोनों ही भारतीय तंत्र साधना की परंपराओं के महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हैं, लेकिन उनकी साधना विधि, जीवनशैली और विश्वासों में स्पष्ट अंतर हैं। जहां एक ओर नागा बाबा हठ योग और ध्यान के माध्यम से आत्मशुद्धि की ओर अग्रसर होते हैं, वहीं अघोरी साधु तंत्र मंत्र के माध्यम से शिव की साधना करते हैं और शव साधना जैसी कठोर प्रक्रियाओं में लीन रहते हैं। दोनों ही पंथ अपनी-अपनी साधना में सफल होते हैं, लेकिन इनकी जीवनशैली और विश्वासों में मूलभूत अंतर होते हैं।