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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 22 Aug 2025 11:56:26 AM IST
हरतालिका तीज 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Hartalika Teej 2025: सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पावन व्रत माना जाता है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक जीवन की समृद्धि और पारिवारिक खुशहाली के लिए पूरे श्रद्धा-भाव से रखती हैं। यह व्रत निर्जला (बिना अन्न-जल के) रखा जाता है, जिसे बहुत कठिन व्रतों में गिना जाता है।
पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने इसी दिन कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इस वर्ष हरतालिका तीज का पर्व 26 अगस्त 2025 (मंगलवार) को मनाया जाएगा।
इस बार तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे शुरू होकर 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे समाप्त होगी। चूंकि यह व्रत उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है, इसलिए हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:56 बजे से शुरू होकर 8:31 बजे तक रहेगा। यह कुल 2 घंटे 35 मिनट का होगा। इस दौरान महिलाएं विधिवत पूजन कर मनचाहा वरदान प्राप्त करने की कामना करती हैं।
इस दिन महिलाएं प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं। इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर रंगोली और फूलों से सजाया जाता है। एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां या चित्र स्थापित किए जाते हैं। देवी पार्वती को श्रृंगार की पिटारी से सुहाग की सारी वस्तुएं जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी आदि अर्पित की जाती हैं। भगवान को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। पूजा के बाद हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनी जाती है। इस दिन महिलाएं रातभर जागरण (रात्रि भजन-कीर्तन) करती हैं और अगली सुबह माता पार्वती की आरती कर सिंदूर अर्पित करती हैं। इसके बाद हलवे का भोग लगाकर व्रत खोला जाता है।
व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन रात भर जागरण करना चाहिए और भगवान शिव-पार्वती का भजन-कीर्तन करना चाहिए। 16 श्रृंगार करना इस दिन विशेष रूप से शुभ माना गया है। पूजा के समय काले रंग के वस्त्र या चूड़ियों का प्रयोग वर्जित है। इस दिन लाल, पीले या हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनना शुभ होता है। मासिक धर्म के दौरान व्रत रख सकती है लेकिन महिलाएं इस समय आध्यात्मिक जुड़ाव बनाए रखना चाहें, तो प्रार्थना, ध्यान और मंत्र जाप कर सकती हैं, परंतु पूजा सामग्री को न छुएं।
पहली बार व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत के कठोर नियमों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना चाहिए। हरतालिका तीज का यह पर्व न केवल वैवाहिक जीवन को सुदृढ़ करता है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और भक्ति की भावना को भी जागृत करता है। इस पावन अवसर पर महिलाएं माता पार्वती से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं।