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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 17 Feb 2025 06:15:19 AM IST
Kalashtami 2025 - फ़ोटो Kalashtami 2025
Kalashtami 2025: कालाष्टमी व्रत का महत्वसनातन धर्म में कालाष्टमी का विशेष महत्व माना जाता है। यह पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के दुख, संकट और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह व्रत सौभाग्य, सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
कालाष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्तफाल्गुन माह की कालाष्टमी इस वर्ष 20 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का प्रारंभ 20 फरवरी को सुबह 03:30 बजे होगा और यह तिथि 21 फरवरी को सुबह 01:45 बजे समाप्त होगी। अतः व्रत और पूजन 20 फरवरी को किया जाना शुभ रहेगा।
कालाष्टमी व्रत और पूजन विधि
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प और धूप-दीप से भगवान काल भैरव की पूजा करें।
भगवान को उड़द, तिल, सरसों का तेल, नारियल और काले वस्त्र अर्पित करें।
काल भैरव मंत्र का जाप करें:ॐ ह्रीं भैरवाय नमः
काल भैरव को साबुत नारियल और इमरती का भोग लगाएं।
रात्रि जागरण कर भगवान काल भैरव की कथा और स्तुति करें।
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
कालाष्टमी व्रत के लाभ
इस व्रत से नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाव होता है।
भगवान काल भैरव की कृपा से जीवन में उन्नति, सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
यह व्रत राहु-केतु और शनि दोष को शांत करने में सहायक होता है।
इस दिन कुत्तों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है।
विशेष योग और शुभ संयोगइस वर्ष कालाष्टमी पर सिद्धि योग और शिववास योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन की पूजा और व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि इन शुभ योगों में भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और व्यक्ति को मनचाहा फल प्राप्त होता है।
निष्कर्षकालाष्टमी व्रत भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने और जीवन के संकटों से मुक्ति पाने का उत्तम साधन है। इस दिन विधि-विधान से पूजा, व्रत और दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इसलिए, जो भी साधक इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति भाव से करता है, उसे भगवान काल भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।