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Sankashti Chaturthi 2025: लंबोदर संकष्टी चतुर्थी 2025, भगवान गणेश की पूजा और व्रत का महत्व

17 जनवरी, 2025 को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा, जो माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने से भक्तों को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 17 Jan 2025 06:30:37 AM IST

Sankashti Chaturthi 2025

Sankashti Chaturthi 2025 - फ़ोटो Sankashti Chaturthi 2025

Sankashti Chaturthi 2025: हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है, जो 17 जनवरी, 2025 को होगा। यह दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा और व्रत का है, जिसे श्रद्धालु विशेष रूप से बड़े श्रद्धा भाव से मनाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की भक्ति और पूजा से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सुख, समृद्धि का वास होता है।


लंबोदर संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी विशेष रूप से भगवान गणेश के आशीर्वाद को प्राप्त करने का दिन है। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं, जो जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर करते हैं। इस दिन व्रत रखने से न सिर्फ व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, बल्कि उसे मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, संतान सुख और गृहस्थ जीवन में सुख और समृद्धि के लिए भी यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।


भगवान गणेश के 108 नामों का महत्व

गणेश पूजा के दौरान, विशेष रूप से भगवान गणेश के 108 नामों का जाप किया जाता है। ये नाम भगवान गणेश के विभिन्न रूपों और गुणों का प्रतीक हैं। इन नामों का उच्चारण भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति में सहायक होता है। इन 108 नामों का जाप करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं और व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।


भगवान गणेश के 108 नामों की सूची:

ॐ गणेश्वराय नमः

ॐ गणाध्यक्षाय नमः

ॐ गणाराध्याय नमः

ॐ गणप्रियाय नमः

ॐ गणनाथाय नमः

ॐ गणस्वामिने नमः

ॐ गणेशाय नमः

ॐ गणनायकाय नमः

ॐ गणमूर्तये नमः

ॐ गणपतये नमः ... (आगे की सूची में अन्य नाम भी आते हैं)

यह सूची बहुत लंबी है और प्रत्येक नाम का विशेष महत्व है। इन नामों का उच्चारण भक्तों को भगवान गणेश के परम आशीर्वाद से जोड़ा जाता है।


व्रत और पूजा विधि:

संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से पहले, भक्त को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ व शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए। फिर, भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा में गणेश जी की मूर्ति या चित्र का अभिषेक करें और उन्हें चढ़ने योग्य वस्तुएं जैसे मोदक, दूर्वा घास, पुष्प आदि अर्पित करें। व्रत के दौरान उपवासी रहते हुए, शाम को भगवान गणेश की आरती करें और 108 नामों का जाप करें।


उपवासी व्रत का महत्व

इस व्रत के दौरान उपवासी रहकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। उपवासी रहने से भक्त का मन पूरी तरह से भगवान के भजन और पूजा में लगा रहता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्रत समाप्ति के बाद पूजा का प्रसाद ग्रहण किया जाता है, और अंत में 108 नामों का जाप करके भगवान गणेश को धन्यवाद दिया जाता है।


लंबोदर संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा और व्रत के रूप में एक विशेष अवसर है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन पूजा के माध्यम से न केवल व्यक्ति की सांसारिक समस्याएं हल होती हैं, बल्कि भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। गणेश जी के 108 नामों का जाप करके भक्त उनके अनंत आशीर्वाद से जुड़े रहते हैं और जीवन को सुखमय बना सकते हैं।