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भगवान विष्णु को क्यों प्रिय है तुलसी? जानिए पौराणिक कथा और महत्व

हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे भक्ति, पवित्रता और त्याग का भी प्रतीक माना जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है। इसके बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Feb 2025 06:30:21 AM IST

Lord Vishnu

Lord Vishnu - फ़ोटो Lord Vishnu

Lord Vishnu love Tulsi: हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है, और इसे "हरिप्रिया" भी कहा जाता है। तुलसी के महत्व के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा है, जिसमें जलंधर की पत्नी वृंदा के त्याग और भगवान विष्णु के आशीर्वाद की कहानी छिपी हुई है। आइए जानते हैं इस कथा के बारे में और समझते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी इतनी प्रिय क्यों हैं।


वृंदा का त्याग और तुलसी का जन्म

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय धरती पर जलंधर नामक एक राक्षस ने आतंक मचा रखा था। उसकी पत्नी वृंदा अत्यंत पतिव्रता और धार्मिक प्रवृत्ति की थी। वह अपने पति की लंबी उम्र के लिए कठोर तपस्या करती थी, जिससे जलंधर को अमरता का आशीर्वाद प्राप्त था। भगवान विष्णु को जलंधर के आतंक को समाप्त करने के लिए एक उपाय खोजना था। उन्होंने छलपूर्वक वृंदा का विश्वास तोड़ा और जलंधर को उसकी शक्ति से वंचित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप जलंधर का वध संभव हुआ। 

जब वृंदा को इस छल का पता चला, तो उसने क्रोध में आकर भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वे एक शिला (पत्थर) में परिवर्तित हो जाएं। इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु "शालिग्राम" के रूप में परिवर्तित हो गए। वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप देने के बाद प्राण त्याग दिए। उसकी पवित्रता और तपस्या के कारण उसके शरीर से एक पौधा उत्पन्न हुआ, जिसे "तुलसी" का नाम दिया गया। तब से तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना जाने लगा।


भगवान विष्णु और तुलसी का दिव्य मिलन

भगवान विष्णु ने वृंदा के त्याग और भक्ति को देखकर उसे आशीर्वाद दिया कि वह तुलसी के रूप में सदैव उनके साथ रहेंगी। इसी कारण से तुलसी को भगवान विष्णु की पूजा में विशेष स्थान प्राप्त है।


तुलसी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

तुलसी को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है और इसे देवी स्वरूप माना जाता है। इसके कुछ प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व इस प्रकार हैं:

भगवान विष्णु की प्रिय – तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत – घर में तुलसी का पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

घर में सुख-शांति का प्रतीक – तुलसी का पौधा घर में रहने से अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

व्रत और त्योहारों में महत्व – कार्तिक माह में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसमें तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम (विष्णु) से किया जाता है।


तुलसी के औषधीय गुण

तुलसी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आयुर्वेद में भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके कुछ प्रमुख औषधीय लाभ इस प्रकार हैं:

सर्दी-खांसी और बुखार में राहत – तुलसी के पत्तों का काढ़ा सर्दी, खांसी और ज्वर में अत्यंत लाभकारी होता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है – तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।

तनाव और मानसिक शांति – तुलसी का सेवन मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करता है।

वातावरण को शुद्ध करती है – तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करने में सहायक होता है और हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करता है।


तुलसी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

तुलसी की पूजा करने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है।

तुलसी के पौधे को घर के आंगन या मंदिर में लगाना चाहिए।

तुलसी के पत्तों को किसी भी भगवान को चढ़ाने से पहले शुद्ध जल से धोना चाहिए।

तुलसी की पूजा विशेष रूप से कार्तिक माह में अत्यंत शुभ मानी जाती है।


भगवान विष्णु और तुलसी का संबंध त्याग, भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। तुलसी केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक देवी स्वरूप है, जो भक्तों को पवित्रता और आस्था का संदेश देती है। इसका धार्मिक, आध्यात्मिक और औषधीय महत्व इसे हर दृष्टिकोण से पूजनीय बनाता है। इसलिए हिंदू धर्म में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है और इसे भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है।