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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 26 Feb 2025 06:03:12 AM IST
Mahashivratri 2025 - फ़ोटो Mahashivratri 2025
Mahashivratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को शिव-शक्ति के दिव्य मिलन के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस पर्व को भक्तगण पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं।
पूजा और अनुष्ठान का महत्व
महाशिवरात्रि पर शिव भक्त उपवास रखते हैं और पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से इस दिन व्रत रखते हैं और शिवजी की पूजा करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रुद्राष्टकम स्तुति का महत्व
भगवान शिव की स्तुति में कई श्लोक और मंत्र प्रचलित हैं, लेकिन रुद्राष्टकम स्तुति का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की, तब उन्होंने श्रद्धापूर्वक रुद्राष्टकम स्तुति का पाठ किया था। इससे उन्हें महादेव की कृपा प्राप्त हुई और वे रावण पर विजय प्राप्त कर सके।
शिव बारात और धार्मिक आयोजन
महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। देशभर में शिव बारात निकाली जाती है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। शिव बारात में शिवजी की विभिन्न झांकियां होती हैं, जो इस पावन पर्व के महत्व को दर्शाती हैं। इस दिन मंदिरों में रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और रुद्राष्टकम पाठ का आयोजन किया जाता है।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश
महाशिवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें संयम, धैर्य और आत्म-संयम का संदेश भी देता है। भगवान शिव का जीवन त्याग और वैराग्य का प्रतीक है। इस दिन हमें अपने जीवन में सदाचार, सत्य और भक्ति का पालन करने की प्रेरणा मिलती है।
हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठेगा वातावरण
महाशिवरात्रि के दिन हर ओर ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष सुनाई देते हैं। शिव भक्तगण मंदिरों में जाकर भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस पावन पर्व पर शिव आराधना से सभी भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।