Bihar Crime News: बिहार में भूमि विवाद को लेकर खूनी संघर्ष, दबंगों ने पीट-पीटकर की युवक की हत्या Bihar Crime News: ‘यादवों के खिलाफ बोला तो गोली मार दूंगा’, बीजेपी सांसद रवि किशन को जान से मारने की धमकी Bihar Crime News: ‘यादवों के खिलाफ बोला तो गोली मार दूंगा’, बीजेपी सांसद रवि किशन को जान से मारने की धमकी Bihar Politics: बारिश और खराब मौसम के बीच भी RJD प्रत्याशी रामबाबू सिंह का तूफानी जनसंपर्क, क्षेत्र की जनता ने किया भव्य स्वागत Bihar Politics: बारिश और खराब मौसम के बीच भी RJD प्रत्याशी रामबाबू सिंह का तूफानी जनसंपर्क, क्षेत्र की जनता ने किया भव्य स्वागत Bihar Election 2025: चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे रीतलाल यादव, पटना हाई कोर्ट से लगा बड़ा झटका Bihar Election 2025: चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे रीतलाल यादव, पटना हाई कोर्ट से लगा बड़ा झटका Bihar Politics: ‘बिहार एनडीए के साथ, विपक्ष का मैनिफेस्टो आईवॉश’, रोहित सिंह का तेजस्वी पर हमला Bihar Politics: ‘बिहार एनडीए के साथ, विपक्ष का मैनिफेस्टो आईवॉश’, रोहित सिंह का तेजस्वी पर हमला Dharmendra Health: बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार धर्मेंद्र की तबीयत बिगड़ी, ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुए भर्ती
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 16 Sep 2025 02:38:08 PM IST
 
                    
                    
                    पितृ पक्ष - फ़ोटो GOOGLE
Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है, जिसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। इस पावन समय में पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हुई और यह 21 सितंबर तक चलेगा।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक होता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक कार्य किए जाते हैं, ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिल सके और वे हमारे ऊपर आशीर्वाद बनाए रखें। वहीं, पितृ पक्ष के अनुष्ठान करते समय कई नियमों का पालन किया जाता है, जिनमें सफेद वस्त्र पहनना एक प्रमुख नियम है।
निदेशक ज्योतिषाचार्य का कहना है कि सफेद रंग को शुद्धता, पवित्रता और शांति का प्रतीक माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, इसलिए इस समय सफेद वस्त्र पहनने से हमारी भावनाएं और मानसिक स्थिति भी शुद्ध और शांतिपूर्ण रहती हैं।
इसके अलावा, पितृ पक्ष शोक और मौन का समय होता है, जिसमें खुशियों या शोर-गुल की जगह शांति बनाए रखना आवश्यक होता है। इस वजह से इस दौरान रंग-बिरंगे और चमकीले कपड़े पहनना उचित नहीं माना जाता। सफेद रंग पहनना इस बात का भी संकेत है कि मनुष्य को मोह-माया से ऊपर उठकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और स्मृति के लिए समर्पित होना चाहिए। यह परंपरा हमें जीवन की अस्थायी चीजों से परे सोचने और आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है।
पितृ पक्ष के दौरान किए जाने वाले तर्पण और पिंडदान से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। इसलिए, इस पावन अवधि में सभी धार्मिक क्रियाओं को विधि-विधान से करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद भी लाता है। पितृ पक्ष की अवधि हिंदू समाज में न केवल धार्मिक अनुष्ठान का समय है, बल्कि यह अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान, श्रद्धा और आस्था व्यक्त करने का भी महत्वपूर्ण अवसर है।