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RAMDAN 2025: बिहार के विभिन्न शहरों में 2 मार्च को सहरी का समय जानें

रमजान का पाक महीना 2 मार्च से आरंभ हो रहा है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिनों तक रोजा रखते हैं और फिर ईद-उल-फितर के पर्व के साथ इसका समापन होता है। रमजान के महीने में सुबह सहरी के साथ रोजे की शुरुआत होती है

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 02 Mar 2025 09:57:03 AM IST

रमजान 2025: इबादत

रमजान 2025: मस्जिद के सामने इबादत करती महिला, पवित्र माह की विशेष झलक - फ़ोटो Google

ramzan 2025: पटना,रमजान का पाक महीना 2 मार्च से आरंभ हो रहा है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिनों तक रोजा रखते हैं और फिर ईद-उल-फितर के पर्व के साथ इसका समापन होता है। रमजान के महीने में सुबह सहरी के साथ रोजे की शुरुआत होती है और सूर्यास्त के बाद इफ्तार के साथ समाप्त होती है। इस दौरान, उपवास करने वाले कुछ भी नहीं खाते-पीते, यहाँ तक कि पानी भी नहीं ग्रहण करते।


शनिवार की रात से तरावीह की नमाज अदा की जाएगी। इस्लाम में रमजान को संयम और इबादत का महीना माना जाता है, जिसमें किए गए अच्छे कार्यों का पुण्य सामान्य दिनों की तुलना में 70 गुना अधिक माना जाता है। इस पवित्र महीने के आगमन को लेकर सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं, खासकर चांद के दीदार का लोग बड़ी उत्सुकता से इंतजार करते हैं। चूंकि शुक्रवार को 29वां शाबान था, इसलिए उलेमाओं ने चांद देखने की अपील की थी, लेकिन चांद नजर नहीं आया। इस कारण शनिवार को 30वां शाबान माना गया और रविवार से रमजान का पहला रोजा शुरू होगा। इस मौके पर बाजारों में खजूर और सेवइयों की खरीदारी जोरों पर है।

2 मार्च को विभिन्न शहरों में सहरी का समय


पटना: सुबह 4:49 बजे

मुजफ्फरपुर (सुन्नी): सुबह 4:51 बजे

मुजफ्फरपुर (शिया): सुबह 4:46 बजे

भागलपुर: सुबह 4:47 बजे

दरभंगा: सुबह 4:51 बजे

समस्तीपुर: सुबह 4:53 बजे

गया: सुबह 4:55 बजे

नवादा: सुबह 4:53 बजे


रमजान के दौरान खास परंपराएं और तैयारियां


रमजान न केवल उपवास का महीना है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक समरसता का भी समय होता है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग कुरान की तिलावत करते हैं, अधिक से अधिक दुआएं मांगते हैं और गरीबों की मदद के लिए आगे आते हैं। जकात और फितरा देना इस महीने की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिससे जरूरतमंदों को सहायता मिलती है।इसके अलावा, रमजान के दौरान मस्जिदों में रौनक बढ़ जाती है, जहां बड़ी संख्या में लोग नमाज अदा करने और तरावीह में शामिल होने के लिए एकत्र होते हैं। इफ्तार के समय सामूहिक दावतों का आयोजन किया जाता है, जहां खजूर, फल, पकौड़े और अन्य पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं।

रमजान का आखिरी अशरा (आखिरी 10 दिन) विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दौरान शब-ए-क़द्र आती है, जिसे हजार महीनों से अधिक पुण्यकारी रात माना जाता है। इस दौरान लोग पूरी रात जागकर इबादत करते हैं और अल्लाह से रहमत और बरकत की दुआ मांगते हैं।