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Shab-e-Baraat: शब-ए-बरात का क्या है महत्व, इस दिन मुस्लिम क्या करते हैं?

इस्लाम धर्म में शब-ए-बरात को एक बेहद खास और महत्वपूर्ण रात माना जाता है। शाबान महीने की 14वीं और 15वीं रात के बीच मनाया जाने वाला यह पर्व मगफिरत यानी माफी की रात के रूप में जाना जाता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Feb 2025 06:30:58 AM IST

Shab e barat

Shab e barat - फ़ोटो Shab e barat

शब-ए-बरात, जिसे मगफिरत की रात भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण रात मानी जाती है। इसे अलग-अलग देशों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे शबे बारात, रबी में लैलातुल बारात, निस्फ स्याबान आदि। इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 14वीं और 15वीं रात के बीच मनाई जाने वाली यह रात अल्लाह से गुनाहों की माफी और दुआएं कबूल करवाने के लिए बेहद खास मानी जाती है।

इस साल 2025 में शब-ए-बरात 13 फरवरी को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं, इस रात का महत्व, इससे जुड़ी परंपराएं और मुसलमान इस रात को कैसे मनाते हैं।


मगफिरत की रात: शब-ए-बरात का महत्व

शब-ए-बरात को मगफिरत की रात यानी माफी की रात कहा जाता है। इस रात मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं, नमाज पढ़ते हैं, कुरान का पाठ करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, शब-ए-बरात की रात अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को माफ कर देता है और उनकी दुआओं को कबूल करता है।

इस रात को इस्लाम धर्म में पांच महत्वपूर्ण रातों में से एक माना जाता है, जब अल्लाह अपने बंदों की सभी दुआएं सुनते हैं। इन पांच रातों में शब-ए-बरात, शुक्रवार की रात, ईद-उल-फितर से पहले की रात, ईद-उल-अजहा से पहले की रात और रज्जब की पहली रात शामिल हैं।


शब-ए-बरात की परंपराएं

शब-ए-बरात के दिन और रात को मुस्लिम समुदाय विशेष रूप से अल्लाह की इबादत में समय बिताते हैं। इस रात से जुड़ी कुछ प्रमुख परंपराएं हैं:


पूर्वजों की मगफिरत की दुआ

शब-ए-बरात के दिन मुसलमान अपने पूर्वजों की कब्र पर जाते हैं। वहां जाकर कब्र की साफ-सफाई करते हैं, फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती जलाते हैं और अल्लाह से अपने पूर्वजों की मगफिरत (माफी) के लिए दुआ मांगते हैं।


पूरी रात इबादत

इस रात लोग मस्जिदों या अपने घरों में पूरी रात जागकर नमाज पढ़ते हैं और कुरान का पाठ करते हैं। साथ ही अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस रात को बिताए गए समय को अल्लाह की इबादत के लिए सबसे खास माना जाता है।


नफिल रोजा

कुछ लोग शब-ए-बरात के दिन और अगले दिन नफिल (स्वेच्छिक) रोजा भी रखते हैं। हालांकि, यह रोजा फर्ज (अनिवार्य) नहीं होता, लेकिन इसे बहुत पुण्यकारी माना जाता है।


तौबा और खैरात

इस रात को गुनाहों से तौबा करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। लोग अल्लाह से वादा करते हैं कि वे भविष्य में गलत कामों से दूर रहेंगे। इसके साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को खैरात (दान) देना और उनकी मदद करना इस रात को और भी पुण्यकारी बनाता है।


मीठे पकवान और दावत

शब-ए-बरात के मौके पर घरों में खासतौर पर मीठे पकवान बनाए जाते हैं। कुछ लोग अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों और गरीबों के बीच इन पकवानों को बांटते भी हैं।


इस्लाम में शब-ए-बरात का संदेश

शब-ए-बरात का मुख्य संदेश है आत्ममंथन और आत्मशुद्धि। इस रात को मुसलमान गुनाहों से तौबा करते हैं और अल्लाह से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगते हैं। यह रात लोगों को नेक रास्ते पर चलने और दूसरों की मदद करने की प्रेरणा देती है।


शब-ए-बरात 2025: तारीख और समय

2025 में शब-ए-बरात का पर्व 13 फरवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व शाबान की 14वीं रात से शुरू होकर 15वीं भोर तक चलेगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, यह रात दुआएं मांगने, इबादत करने और मगफिरत प्राप्त करने के लिए सबसे पवित्र रातों में से एक है। शब-ए-बरात केवल एक पर्व नहीं, बल्कि अपने अंदर झांकने और अल्लाह के सामने आत्मशुद्धि का मौका है। इस रात को इबादत, दुआ, तौबा और खैरात के जरिए मुसलमान अपने गुनाहों से छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं। यह पर्व धार्मिकता और समाज सेवा का बेहतरीन संदेश देता है।