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विजया एकादशी 2025; शुभ मुहूर्त और नियम

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली विजया एकादशी को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सफलता, समृद्धि और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Feb 2025 07:07:32 AM IST

Vijaya Ekadashi

Vijaya Ekadashi - फ़ोटो Vijaya Ekadashi

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025) हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। यदि इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाए, तो व्यक्ति को जीवन में विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।


विजया एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ – 23 फरवरी 2025, दोपहर 01:55 बजे

एकादशी तिथि समाप्त – 24 फरवरी 2025, दोपहर 01:44 बजे

व्रत रखने की तिथि – 24 फरवरी 2025 (सोमवार)


एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये कार्य

1. चावल का सेवन न करें

शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है। यह माना जाता है कि इस दिन चावल खाने से व्रत खंडित हो जाता है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती। इसलिए व्रतधारी के साथ-साथ घर के अन्य सदस्यों को भी चावल से परहेज करना चाहिए।


2. तुलसी के पत्ते न तोड़ें

भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता स्वयं भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखती हैं, इसलिए उन्हें हानि पहुंचाना शुभ नहीं माना जाता। साथ ही, इस दिन तुलसी में जल भी अर्पित नहीं करना चाहिए।


3. काले रंग के वस्त्र न पहनें

एकादशी का दिन शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिन काले रंग के वस्त्र पहनने से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है। इसके स्थान पर पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु को प्रिय है।


4. बुरे विचारों से बचें

इस पावन दिन पर मन को शांत रखना चाहिए और क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष व बुरे विचारों से बचना चाहिए। संयम, सत्संग और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।


विजया एकादशी का महत्व

विजया एकादशी का नाम ही इस बात का संकेत देता है कि यह व्रत सफलता और विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त होती हैं। भगवान श्रीराम ने भी लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए इसी एकादशी का व्रत रखा था। इस कारण इसे ‘विजया’ एकादशी कहा जाता है।


व्रत के नियम और पूजन विधि

व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और पीले फूल अर्पित करें।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।

तुलसी दल और फलाहार से भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें।

पूजा के बाद दिनभर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।

रात को जागरण करें और अगले दिन व्रत का पारण करें।


भगवान विष्णु के मंत्र

इस एकादशी पर श्री हरि विष्णु के मंत्रों का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ नारायणाय नमः

श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।


विजया एकादशी 2025 का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा पाने का उत्तम अवसर है। यदि इस दिन व्रत और पूजा विधि का पालन श्रद्धा एवं नियमों के साथ किया जाए, तो व्यक्ति को अन्न, धन, समृद्धि और जीवन में विजय प्राप्त होती है।