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Mauni Amavasya: मौनी अमावस्या कब है, पितृ दोष से मुक्ति के उपाय और महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, जिसे पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का दिन माना जाता है। प्रत्येक अमावस्या का दिन पितरों के लिए समर्पित होता है, लेकिन माघ मास की अमावस्या, जिसे "मौनी अमावस्या" कहा जाता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 26 Jan 2025 08:19:08 AM IST

Mauni Amavasya:

Mauni Amavasya: - फ़ोटो Mauni Amavasya:

Mauni Amavasya: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, और माघ माह की अमावस्या को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसे "मौनी अमावस्या" कहा जाता है, और इस दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और पूजा का महत्व अधिक बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितर अपने वंशजों से मिलने के लिए पृथ्वी पर आते हैं, और यह अवसर पितृ दोष से मुक्ति पाने का उत्तम समय होता है।


मौनी अमावस्या का महत्व:

मौनी अमावस्या पर विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह दिन मौन रहने का होता है, जो आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। मौन रहकर भगवान का ध्यान करना और मन की शांति को महसूस करना इस दिन का मुख्य उद्देश्य होता है।


पितृ दोष से मुक्ति के उपाय:

पवित्र नदियों में स्नान: मौनी अमावस्या पर सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। यदि पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो, तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इस उपाय से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

तर्पण और पिंडदान: इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करना जरूरी माना जाता है। किसी पवित्र नदी में काला तिल डालकर पितरों को जल अर्पित करें। इससे पितरों की कृपा बनी रहती है और परिवार में सुख-शांति आती है।

दान-पुण्य: मौनी अमावस्या पर दान का महत्व अत्यधिक होता है। इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना, वस्त्र, आटा, गुड़, फल, कंबल आदि का दान करना शुभ माना जाता है। यह दान पितरों की कृपा प्राप्त करने के साथ-साथ जीवन के सभी कष्टों को समाप्त करता है।

पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करना: अमावस्या तिथि पर पितरों का वास पीपल के पेड़ में माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इससे पितरों को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

कच्चे दूध का प्रवाह: मौनी अमावस्या पर कच्चे दूध में जौ, तिल और चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है। यह उपाय पितृ दोष को शांत करने के लिए प्रभावी होता है और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।

हवन और पूजा: इस दिन घर में हवन करना भी शुभ माना जाता है। यदि हवन करना संभव न हो, तो गाय के गोबर से बने उपले जलाकर उस पर घी और गुड़ की धूप दें। साथ ही ‘पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु’ मंत्र का उच्चारण करें।

गाय को भोजन कराना: हिंदू धर्म में गाय को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से हरा चारा, गुड़ और रोटी गाय को खिलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।


मौनी अमावस्या पितृ दोष से मुक्ति पाने और पितरों को प्रसन्न करने का सबसे उपयुक्त दिन है। इस दिन किए गए उपायों से न केवल पितरों की कृपा मिलती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है। अगर आप भी किसी प्रकार की परेशानियों का सामना कर रहे हैं या पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो इस दिन दिए गए धार्मिक उपायों का पालन करके अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।