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Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर किन दो भोग से खुश हो जाते है बाल गोपाल? प्रेमानंद महाराज ने बताया

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर प्रेमानंदजी ने भगवान कृष्ण को खुश करने के लिए सफेद मक्खन और चावल के आटे का मालपुआ भोग बनाने की सलाह दी है। केक से बचकर ये परंपरागत भोग घर पर हाथ से बनाएं, जिससे भक्ति और स्वाद दोनों बढ़े।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 14 Aug 2025 02:54:07 PM IST

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर किन दो भोग से खुश हो जाते है बाल गोपाल? प्रेमानंद महाराज ने बताया

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Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का पर्व हर भक्त के लिए अत्यंत पावन होता है। इस दिन श्रीकृष्ण के बालरूप को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु विशेष भोग तैयार करते हैं। माखन, मिश्री, दही और पंचामृत तो पारंपरिक भोग हैं ही, लेकिन हाल ही में प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने सत्संग के दौरान जन्माष्टमी भोग से जुड़ी कुछ अहम बातें साझा कीं। उन्होंने कहा कि कई लोग श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर केक काटते हैं, जो भले ही भावना से प्रेरित हो, परंतु यह परंपरा उचित नहीं है क्योंकि अधिकतर बेकरी के केक में अंडे का प्रयोग होता है, जो शुद्ध सात्विक भोग की भावना के विपरीत है।


प्रेमानंदजी ने स्पष्ट रूप से दो विशेष भोगों की बात की, जो श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं: सफेद माखन और चावल के आटे का मालपुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये भोग घर पर अपने हाथों से शुद्धता और श्रद्धा से बनाए जाएं, न कि बाजार से खरीदें।


मालपुआ बनाने की विधि में उन्होंने बताया कि सबसे पहले आधा लीटर दूध को उबालकर आधा कर लें। फिर इसमें चावल का आटा, थोड़ा मैदा, बेकिंग सोडा, सौंफ, नारियल और इलायची पाउडर मिलाकर एक मीडियम गाढ़ा बैटर तैयार करें। पैन में घी गर्म कर इस मिश्रण से गोल मालपुए सेंकें। दूसरी ओर चीनी और पानी की चाशनी बनाकर उसमें केसर मिलाएं और मालपुए उसमें डालें। ऊपर से कटे पिस्ता-बादाम डालकर भगवान को भोग लगाएं।


सफेद माखन के लिए घर की ताजा मलाई लें जो दो दिन से अधिक पुरानी न हो। उसे खूब फेंटें या मिक्सर में ठंडे पानी के साथ स्लो मोड में चलाएं, जिससे मक्खन और मट्ठा अलग हो जाए। मक्खन को निकालकर आइस क्यूब डालकर फिर से फेंटें ताकि वह अच्छी तरह ठंडा और शुद्ध हो जाए। इस माखन को मिश्री के साथ मिलाकर भोग रूप में अर्पित करें।


प्रेमानंद महाराज का संदेश यही था कि भगवान को वही अर्पित करें जो सात्विक, शुद्ध और श्रद्धा से बना हो। केक जैसी परंपराएं आधुनिक भले हों, लेकिन पारंपरिक और भक्तिपूर्ण भोग का भाव कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।