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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 05 Aug 2025 01:43:07 PM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार के कैमूर जिले के रामपुर प्रखंड में स्थित भितरबांध गांव डिजिटल इंडिया के नक्शे से आज भी कोसों दूर है। इस गांव के 800 घरों में 2000 से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन मोबाइल नेटवर्क की कमी के कारण उन्हें बात करने के लिए 2-3 किलोमीटर दूर करमचट डैम या अमांव जाना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार गांव में BSNL का एक टावर लगा है लेकिन उसमें मशीनरी नहीं होने से वह काम नहीं करता। कोई भी कंपनी का सिम यहां सिग्नल नहीं देता है। जिस वजह से इमरजेंसी में, रात में, बीमारियों या अन्य संकटों के समय ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्थानीय निवासियों ने बताया है कि गांव में सभी के पास मोबाइल फोन हैं, लेकिन नेटवर्क न होने से वे बेकार हैं। एक ग्रामीण ने कहा, “रात में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो डॉक्टर या परिजनों से संपर्क के लिए 2-3 किमी पैदल जाना पड़ता है जो कि खतरनाक है।” गांव में लगे BSNL टावर का ढांचा तो खड़ा है, लेकिन उसमें उपकरण नहीं लगाए गए, जिससे वह भी बेकार पड़ा है। यह स्थिति डिजिटल इंडिया के दावों पर सवाल उठाती है, जहां ऑनलाइन पेमेंट और इंटरनेट का उपयोग अब हर जगह बढ़ रहा है लेकिन भितरबांध जैसे गांव कनेक्टिविटी से आज भी वंचित हैं।
भभुआ के विधायक ने दावा किया है कि उनके प्रयासों से 2024 में BSNL टावर लगवाया गया था जो पहले काम कर रहा था। उन्होंने कहा, “हमें टावर खराब होने की जानकारी नहीं थी। अब इस मुद्दे को जिला प्रशासन और टेलीकॉम विभाग के सामने उठाया जाएगा ताकि समस्या का समाधान हो।” हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि टावर शुरू से ही पूरी तरह कार्यरत नहीं था। 2023 में कैमूर में 70 गांवों में मोबाइल टावर लगाने की योजना बनाई गई थी, जिसमें भितरबांध भी शामिल था लेकिन प्रगति धीमी रही। केंद्र सरकार के भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत बिहार के 173 गांवों में अभी भी मोबाइल नेटवर्क नहीं है, जिसमें कैमूर के कई गांव शामिल हैं।
जिला प्रशासन और टेलीकॉम विभाग से इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है। ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि कम से कम एक कार्यशील टावर या वाई-फाई चौपाल की सुविधा दी जाए ताकि आपात स्थिति में संचार संभव हो। डिजिटल इंडिया और भारतनेट जैसी योजनाओं के बावजूद भितरबांध जैसे गांवों की स्थिति दर्शाती है कि ग्रामीण कनेक्टिविटी में अभी भी बड़ी खाई बाकी है, जिसको भरना आवश्यक है।