Bihar News: पिता- ‘राक्षस’, मां का नाम ‘करप्शन’; बिहार में फर्जी आवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन, केस दर्ज

Bihar News: आवास प्रमाण पत्र के लिए अजीबो-गरीब नामों के साथ फर्जी आवेदन सामने आया है, जिसमें पिता का नाम 'राक्षस' और मां का नाम 'करप्शन' दर्ज है। प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज की है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 05 Aug 2025 10:47:10 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: बिहार में आवास प्रमाण पत्र बनवाने के मामले लगातार चर्चा में बने हुए हैं, जहां अजग-गजब और फर्जी नामों के साथ आवेदनों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला मुजफ्फरपुर जिले का है, जहां 24 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से एक आवास प्रमाण पत्र के लिए पिता का नाम “राक्षस” और माता का नाम “करप्शन” लिखा गया है। यह आवेदन औराई अंचल के ग्राम खेतलपुर, पोस्ट शाही मीनापुर, प्रखंड औराई से किया गया था। इस विचित्र आवेदन को लेकर क्षेत्रीय सीओ गौतम कुमार ने सोमवार को अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।


आधिकारिक जांच में सामने आया है कि आवेदन में आवेदक की फोटो के स्थान पर कार्टून की तस्वीर लगाई गई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आवेदन जानबूझकर भ्रम फैलाने और सरकारी सेवा जैसे आरटीपीएस सर्विस प्लस की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से किया गया था। सीओ ने बताया कि संभवतः माता का नाम “करप्शन” लिखने के बजाय “काराफ्टन” लिखा जाना था, लेकिन यह भी संदिग्ध है। खेतलपुर पंचायत के राजस्व कर्मचारी राहुल कुमार ने इस मामले को आरटीपीएस सेवा की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने की मंशा से जुड़ा बताया है। थानाध्यक्ष राजा सिंह ने कहा कि साइबर थाने की पुलिस की मदद से आरोपी को जल्द चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।


यह मामला मुजफ्फरपुर में फर्जी आवास प्रमाण पत्रों की समस्या को फिर से उजागर करता है। इससे पहले इसी जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम से भी फर्जी आवासीय प्रमाणपत्र बनाने का प्रयास सामने आया था, जिसे लेकर पुलिस राजनीतिक साजिश की जांच कर रही है। सरैया अंचल के राजस्व पदाधिकारी अभिषेक सिंह ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह की साजिश रची गई थी, जो सत्यापन के दौरान पकड़ी गई। फिलहाल, पुलिस ऑनलाइन आवेदन करने वाले साजिशकर्ता की तलाश में जुटी है।


पिछले कुछ समय में बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र के नाम पर कई विवादित मामले सामने आए हैं, जिनमें एक बार तो एक कुत्ते के नाम पर भी आवास प्रमाण पत्र बनाने का मामला वायरल हुआ था। इस घटना ने न सिर्फ बिहार प्रशासन की छवि को प्रभावित किया था, बल्कि देश स्तर पर भी सवाल खड़े कर दिए थे कि कैसे सरकारी दस्तावेजों के साथ ऐसे खेल हो सकते हैं। इन सभी घटनाओं ने बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं और अधिकारियों को इस प्रणाली को और अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाने की चुनौती दी है। प्रशासन की ओर से अब कठोर कदम उठाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है ताकि फर्जीवाड़े को रोका जा सके और आम जनता का विश्वास बहाल किया जा सके।