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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 27 Mar 2025 03:18:15 PM IST
मजिस्ट्रेट और दारोगा को गिरफ्तारी का आदेश - फ़ोटो google
Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर कोर्ट ने एक मजिस्ट्रेट और एक दारोगा की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है। दोनों पर मादक पदार्थ तस्करी के दो अलग-अलग मामलों में गवाही देने के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं होने का आरोप है। एनडीपीएस कोर्ट-2 के न्यायाधीश नरेन्द्र पाल सिंह ने मजिस्ट्रेट सह प्रखंड आपूर्ति अधिकारी मुशहरी, कमलेश कुमार और अहियापुर के तत्कालीन दारोगा दीपक कुमार के खिलाफ गैरजमानतीय वारंट जारी किया है। कोर्ट ने मुजफ्फरपुर पुलिस को आदेश दिया है कि दोनों को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया जाए।
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब नगर पुलिस ने 23 सितंबर 2023 को छाता बाजार स्थित दीपराज वर्णमाला की किराना दुकान पर छापेमारी की थी, जिसमें 67 किलो डूडा अफीम जब्त की गई थी। इस छापेमारी का नेतृत्व मजिस्ट्रेट कमलेश कुमार ने किया था। इस मामले में दीपराज वर्णमाला, नवीनचंद्र लाल, हिमांशु, बालूघाट के विजय सहनी और गया के मुकेश कुमार को आरोपित किया गया था।
हालांकि, गवाही देने के लिए कमलेश कुमार कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे हैं, जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है। वहीं दूसरी ओर, एक और मामला स्मैक तस्करी से जुड़ा है, जिसमें तस्कर को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में आरोपित तस्कर की गिरफ्तारी के दौरान आईओ दीपक कुमार भी गवाही देने के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। इसी कारण उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी दिया गया है। जानकारी के अनुसार, दोनों अधिकारियों का ट्रांसफर भी हो चुका है।
कानून की जानकारों ने बताया है कि एनडीपीएस जैसे गंभीर मामलों में भी अगर अधिकारी गवाही देने से बचते हैं, तो यह न्यायिक प्रक्रिया की रफ्तार को प्रभावित करता है और आरोपियों को इसका लाभ मिलता है। कई बार अंदरूनी मिलीभगत भी देखने को मिलती है, जिससे अभियुक्तों को टाल-मटोल की नीति अपनाकर लाभ पहुँचाने की कोशिश की जाती है। ऐसे मामलों में कोर्ट का सही समय पर निर्णय न होना आरोपियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।