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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 23 Sep 2025 03:56:10 PM IST
Ashok Chaudhary - फ़ोटो FILE PHOTO
Ashok Chaudhary : बिहार की राजनीति में एक बार फिर सियासी घमासान छिड़ गया है। ग्रामीण कार्य मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) को 100 करोड़ रुपये के मानहानि का नोटिस भेजा है। मंत्री ने पीके पर आरोप लगाया है कि उन्होंने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया, गलत बयानी की और उनकी सार्वजनिक छवि को धूमिल करने की कोशिश की है।
चौधरी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर प्रशांत किशोर अपने आरोपों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते हैं, तो उन्हें कोर्ट का रुख करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की राजनीति न केवल व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुँचाती है, बल्कि समाज में भी गलत संदेश देती है।
मामला दरअसल पिछले सप्ताह शुरू हुआ, जब प्रशांत किशोर ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए। किशोर ने कहा कि मंत्री ने सिर्फ दो साल में 200 करोड़ रुपये की संपत्ति इकट्ठा की है। उनका दावा था कि चौधरी ने यह संपत्ति अपनी पत्नी, बेटी, समधन और उनसे जुड़े मानव वैभव विकास ट्रस्ट के माध्यम से खरीदी है। किशोर के मुताबिक, इस ट्रस्ट की ट्रेजरर (कोषाध्यक्ष) अशोक चौधरी की सांसद बेटी शांभवी चौधरी की सास अनिता कुणाल हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किशोर ने यह भी कहा कि मंत्री की राजनीतिक हैसियत का इस्तेमाल कर परिवार और ट्रस्ट के नाम पर बड़ी मात्रा में जमीन खरीदी गई।
इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर के पास तथ्यों का अभाव है। उन्होंने चुनौती दी कि पीके अगर सच बोल रहे हैं तो सबूत प्रस्तुत करें, वरना उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी। मंत्री ने कहा – “राजनीति में स्वस्थ बहस होनी चाहिए, लेकिन झूठे आरोप लगाकर किसी की छवि खराब करने की कोशिश करना निंदनीय है। अगर पीके तुरंत माफी नहीं मांगते तो मैं उनके खिलाफ न्यायालय जाऊंगा। मैं पहले भी इस तरह के आरोपों को अदालत में चुनौती दे चुका हूँ और आगे भी करूंगा।”
यह पहला मौका नहीं है जब दोनों नेताओं के बीच इस तरह का टकराव सामने आया हो। इससे पहले भी जून 2025 में अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था। तब किशोर ने आरोप लगाया था कि चौधरी ने अपनी बेटी शांभवी चौधरी को लोकसभा चुनाव लड़ाने के लिए पैसा देकर टिकट खरीदा था। उस समय यह आरोप काफी चर्चा में रहा था। बाद में शांभवी चौधरी ने चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के टिकट पर समस्तीपुर से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुँचीं। उनकी जीत ने अशोक चौधरी की राजनीतिक हैसियत को और मजबूत किया, लेकिन आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति उसी समय से जारी है।
बिहार की सियासत में अशोक चौधरी और प्रशांत किशोर दोनों ही अहम नाम हैं। चौधरी लंबे समय से नीतीश कुमार के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं। वर्तमान में वे ग्रामीण कार्य मंत्री हैं और संगठन के लिहाज से भी उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।
वहीं प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने, पिछले कुछ वर्षों से अपने संगठन जन सुराज के माध्यम से राज्य में जनता के बीच सक्रिय हैं। वे लगातार नीतीश सरकार और खासकर जेडीयू नेताओं पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोप लगाते रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों नेताओं के बीच जारी यह विवाद आने वाले विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में और तेज़ हो सकता है। प्रशांत किशोर अपने दौरों और प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगातार सरकार पर हमलावर हैं, जबकि जेडीयू के मंत्री और नेता उन पर पलटवार कर रहे हैं।
अशोक चौधरी का 100 करोड़ का मानहानि नोटिस सिर्फ कानूनी मामला नहीं है, बल्कि यह सियासी संदेश भी है। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच यह धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि सरकार और उसके मंत्री झूठे आरोपों से डरने वाले नहीं हैं। दूसरी ओर, प्रशांत किशोर भी लगातार इस बात पर जोर देते हैं कि वे किसी भी दबाव में चुप नहीं बैठेंगे। उनके अनुसार, बिहार की राजनीति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग हो रहा है, और वे इसे उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।