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Bapu Tower :बिहार का डिजिटल बापू टावर... महात्मा गांधी की विरासत का अनूठा प्रतीक

Bapu Tower :बिहार की राजधानी पटना में स्थित बापू टावर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित देश का पहला डिजिटल टावर है। 129 करोड़ की लागत से बने इस टावर का उद्घाटन महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी .

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 10 Mar 2025 04:38:33 PM IST

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Bapu tower image - फ़ोटो Google

Bapu Tower : बिहार की राजधानी पटना में स्थित बापू टावर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित देश का पहला डिजिटल टावर है। यह आधुनिक टावर महात्मा गांधी के जीवन, विचारों और उनके योगदान को डिजिटल माध्यम से दर्शाता है, जिसे देखने के बाद उनके जीवन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है।

बापू टावर का निर्माण और विशेषताएं

यह टावर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका उद्घाटन 2 अक्टूबर 2024 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर किया गया। यह 129 करोड़ रुपये की लागत से बना है और 7 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस परिसर में एक एकड़ में मुख्य टावर स्थित है, जबकि शेष 6 एकड़ क्षेत्र पार्किंग और अन्य सुविधाओं के लिए विकसित किया गया है।

आधुनिक संरचना और सुविधाएं

बापू टावर की ऊंचाई 120 फीट है और इसमें कुल 6 मंजिलें हैं। इसके परिसर में पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था है, जहां एक बार में 135-150 दोपहिया वाहन, 60-70 कारें और 6 बसें पार्क की जा सकती हैं। आगंतुकों के लिए प्रवेश टिकट की न्यूनतम राशि निर्धारित है, जबकि दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं दी गई हैं।

भवन की संरचना

बापू टावर दो भागों में विभाजित है — एक आयताकार भाग और दूसरा गोलाकार भवन| आयताकार भाग में तीन एग्जिबिशन गैलरी, एक ऑडिटोरियम, वेटिंग रूम, एक दुकान और कैंटीन मौजूद हैं।गोलाकार भवन में 120 फीट ऊंची संरचना के भीतर 5 रैंप बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से आगंतुक टावर के शीर्ष तक पहुंच सकते हैं। इस भाग में महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी घटनाओं, उनके विचारों और सिद्धांतों को तस्वीरों, म्यूरल्सकट आउट, मैनीक्विन्स और डिजिटल वीडियो के जरिये प्रदर्शित किया गया है।

विशेष डिजिटल सुविधाएं

गोलाकार भवन में 60 व्यक्तियों की क्षमता वाला एक ऑडिटोरियम भी बनाया गया है, जिसमें स्क्रीन प्रोजेक्टर के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को दिखाया जाता है इस टावर के निर्माण में लगभग 40 टन तांबे का इस्तेमाल किया गया है, क्योंकि तांबा सांस्कृतिक रूप से शुद्ध माना जाता है और इसकी आयु लंबी होती है। इसके अलावा, तांबे के बाहरी आवरण का रंग समय के साथ बदलता है, जिससे इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। यह प्रतीकात्मक रूप से गांधी जी के विचारों की स्थिरता और उनकी बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है।

शोधार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था

बापू टावर में शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। यहां महात्मा गांधी के भाषण, उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं और बिहार से जुड़े उनके योगदान की जानकारी को डिजिटल स्रोतों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इससे शोधकर्ता मूल स्रोतों तक भी पहुंच सकते हैं, जिससे उनकी जानकारी सटीक और प्रमाणिक रहेगी।

बापू टावर का महत्व

आपको बता दे कि बापू टावर सिर्फ एक डिजिटल म्यूजियम नहीं है, बल्कि यह महात्मा गांधी की स्थायी विरासत, उनके सिद्धांतों और मूल्यों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। यह टावर न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभर रहा है।