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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Sep 2025 10:00:58 AM IST
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह - फ़ोटो FILE PHOTO
BIHAR ELECTION : बिहार में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक हलचल भी तेज होती जा रही है। राज्य की सत्ता पर काबिज होने और जनसमर्थन जुटाने के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां पूरी रफ्तार से शुरू कर दी हैं। सत्ताधारी गठबंधन हो या विपक्ष, हर कोई जनता तक अपनी बात पहुँचाने और संगठन को मजबूत करने में जुटा है। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 18 सितंबर को बिहार दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे भाजपा की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक मजबूती को लेकर एक अहम समीक्षा बैठक करेंगे।
जानकारी के मुताबिक अमित शाह की यह बैठक बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इसमें राज्य के 20 जिलों के भाजपा नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे। बैठक में सांसद, विधायक, वरिष्ठ पदाधिकारी और पार्टी संगठन से जुड़े जिम्मेदार चेहरे मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि शाह इस बैठक में विधानसभा चुनाव की रणनीति पर गहन मंथन करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का रोडमैप भी समझाएंगे।
बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से जटिल राज्य में चुनावी रणनीति बेहद अहम होती है। यहां जातीय समीकरण से लेकर क्षेत्रीय मुद्दे तक, सबकुछ चुनावी परिणामों को प्रभावित करता है। भाजपा नेतृत्व इस बात को भलीभांति समझता है। यही कारण है कि अमित शाह व्यक्तिगत रूप से चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगे। वे नेताओं और कार्यकर्ताओं से जमीनी हालात की जानकारी लेंगे और यह परखेंगे कि किन सीटों पर पार्टी की स्थिति मजबूत है और किन जगहों पर और मेहनत की जरूरत है।
बैठक में बूथ स्तर तक संगठन को सशक्त बनाने पर जोर दिया जाएगा। भाजपा लंबे समय से ‘बूथ जीतो, चुनाव जीतो’ के फॉर्मूले पर काम करती रही है और बिहार में भी यही रणनीति अपनाई जाएगी। अमित शाह कार्यकर्ताओं को यह संदेश देंगे कि हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की उपस्थिति और पकड़ मजबूत होनी चाहिए।
इस समय बिहार की राजनीति में विपक्ष भी लगातार सक्रिय है। राजद, जदयू, कांग्रेस और अन्य दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। भाजपा यह भलीभांति जानती है कि विपक्ष एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतर सकता है और उसके लिए चुनौती खड़ी कर सकता है। ऐसे में अमित शाह की बैठक का मकसद सिर्फ संगठन को मजबूत करना ही नहीं बल्कि विपक्ष की संभावित रणनीतियों का पूर्वानुमान लगाकर उसके मुताबिक तैयारी करना भी होगा।
इस बैठक में पार्टी सांसदों और विधायकों से भी खासतौर पर संवाद होगा। उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहकर जनता से सीधे जुड़ने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि जनता से सीधा संवाद ही चुनावी सफलता की कुंजी है। इसलिए हर जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी को अपने इलाके में पूरी ताकत से काम करने का निर्देश दिया जाएगा।
बैठक में उन प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा होगी, जिनके आधार पर भाजपा जनता के बीच जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं, विकास कार्यों और लाभार्थी योजनाओं को जनता तक पहुंचाना एक बड़ा एजेंडा रहेगा। साथ ही विपक्ष की आलोचनाओं का प्रभावी जवाब देने की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी।
अमित शाह हमेशा से संगठन की मजबूती को सर्वोपरि मानते रहे हैं। यही वजह है कि बिहार दौरे पर भी उनका फोकस इसी पर रहेगा। वे कार्यकर्ताओं को प्रेरित करेंगे कि चुनाव सिर्फ नेताओं का नहीं बल्कि हर कार्यकर्ता का है। बूथ स्तर का कार्यकर्ता ही असली योद्धा है और उसकी सक्रियता ही चुनावी जीत की गारंटी बनती है।