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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 01 Nov 2025 04:39:00 PM IST
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Bihar Election : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल धीरे-धीरे गर्म होता जा रहा है। इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है, क्योंकि यह केवल सत्ता परिवर्तन का सवाल नहीं है, बल्कि बिहार के भविष्य के सवालों पर भी केंद्रित है। इसी कड़ी में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने एक बड़ा बयान दिया है, जिसने राज्य की राजनीतिक फिज़ा में नई हलचल मचा दी है।
मुकेश सहनी, जिन्हें ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से भी जाना जाता है, ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस बार का चुनाव, बिहार की सूरत और सीरत दोनों बदलने का मौका है। पछतावे और सवालों से भरी जनसभाओं में उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों में एनडीए की सरकार ने बिहार को क्या दिया? उन्होंने जनता से सीधा सवाल करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम ऐसी सरकार को चुनें जो वाकई में बिहार और बिहारी जनमानस के बारे में सोचे।
“शिक्षा और रोज़गार के लिए बंटा हुआ बिहार”
मुकेश सहनी का सबसे बड़ा आरोप यही है कि आज भी बिहार का युवा अपने घर में रहकर अपनी पढ़ाई और रोजगार के सपने पूरे नहीं कर सकता। इसके लिए उसे राज्य से बाहर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन इसे हल करने के लिए 20 साल भी काफी समय होता है। “क्या 20 साल कम होते हैं शिक्षा और रोजगार की समस्या दूर करने के लिए? अगर हां, तो फिर यह क्यों नहीं हुआ,” सहनी ने सवाल उठाया।
उन्होंने यह भी कहा कि जिस बिहार ने देश को इतना कुछ दिया, आज उसे अपने ही बच्चों को पलायन की मार झेलनी पड़ रही है। “बिहार का बेटा गुजरात, दिल्ली, मुंबई और पंजाब में जा कर मजदूरी करने को मजबूर है। यह हमारी नाकामी नहीं, यह हमारी राजनीतिक असफलता है,” उन्होंने कहा।
“दिल्ली से नहीं, पटना से चले बिहार की सरकार”
पूर्व मंत्री ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन पर आरोप लगाया कि वे बिहार की सरकार को ‘दिल्ली के रिमोट’ से चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की असली सरकार पटना में बैठी होनी चाहिए, न कि किसी बाहरी राजनीतिक ताकत के इशारों पर चलने वाली। “आज बिहार में निर्णय यहां नहीं लिए जाते, बल्कि कहीं और से आदेश आता है। क्या यह बिहार की स्वाभिमान की बात नहीं है?” सहनी ने जनसभा में पूछा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की जनता बेहद संवेदनशील है और उसे मर्यादा और लाज का महत्व पता है। “बिहार के लोग धोखा नहीं खाते, उन्हें बस एक सही विकल्प की तलाश है,” उन्होंने कहा।
“हमने गरीबी झेली है, दर्द समझते हैं”
मुकेश सहनी ने अपने जीवन संघर्ष को जनता से साझा करते हुए कहा कि उन्होंने गरीबी झेली है, भूख देखी है। इसी वजह से वह गरीबों, पिछड़ों और वंचितों की आवाज़ हैं। “हम महागठबंधन का हिस्सा हैं और हम वादा करते हैं कि यह सरकार गरीबों की होगी, पिछड़ों और वंचितों की होगी,” उन्होंने जोर देकर कहा।
सहनी ने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से सरकार केवल सत्ता और कुर्सी बचाने में जुटी रही। “कुर्सी के लिए रिश्ते टूटे, दोस्त बदले और सिद्धांत गिरवी रख दिए गए। लेकिन, बिहार की जनता अब ऐसी राजनीति को पहचानने लगी है,” उन्होंने कहा।
“बिहार की राजनीति में नई हवा की जरूरत”
सहनी ने लोगों से अपील की कि वे इस चुनाव में बदलाव की बयार लाएं। “अगर बिहार बदलना है, तो हमें अपनी सोच बदलनी होगी। राजनेता बदलेंगे, तो राज बदलेगा। बिहार के भविष्य का फैसला आपके हाथ में है,” उन्होंने कहा।
उनका यह बयान स्पष्ट तौर पर बिहार के चुनावी माहौल को नए रास्ते की ओर मोड़ता दिख रहा है। VIP प्रमुख का यह सन्देश साफ कहता है कि अब बिहार को ऐसी सरकार चाहिए जो न सिर्फ दिल्ली में मजबूती से खड़ी हो, बल्कि पटना की गलियों में भी लोगों की आवाज़ सुने।
मुकेश सहनी की यह अपील शायद बिहार के जातीय और सामाजिक समीकरणों के बीच नई राजनीतिक खाई और पुल दोनों बना रही है। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि 2025 के चुनाव में जनता उनकी बात कितनी समझ पाती है और महागठबंधन का यह सपना जमीन पर उतरता है या नहीं।
इस बीच, बिहार के चुनावी मौसम में सभी दल अपने-अपने दावे और वादों के साथ जनता के बीच पहुंच रहे हैं। लेकिन, यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार नज़रिया केवल विकास का नहीं, आत्मसम्मान और स्वाभिमान का भी है। और इसी मुद्दे को लेकर मुकेश सहनी लगातार जनता से संवाद कर रहे हैं।