Tejashwi Yadav : बिहार भाजपा ने तेजस्वी यादव को बताया लापता, सोशल मीडिया पर जारी किया पोस्टर,कहा -आखिर बार मीडिया से मुहं छुपाते हुए दिखें

बिहार भाजपा ने तेजस्वी यादव को लापता बताया, सोशल मीडिया पर पोस्टर जारी कर उनका मज़ाक उड़ाया। विपक्षी नेता लंबे समय तक बिहार से बाहर, राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Dec 2025 10:04:59 AM IST

Tejashwi Yadav : बिहार भाजपा ने तेजस्वी यादव को बताया लापता, सोशल मीडिया पर जारी किया पोस्टर,कहा -आखिर बार मीडिया से मुहं छुपाते हुए दिखें

- फ़ोटो

Tejashwi Yadav : बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने और नई सरकार के गठन के बाद विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख तेजस्वी यादव लगातार बिहार से बाहर नजर आ रहे हैं। इस बीच, बिहार भाजपा ने इस स्थिति का मज़ाकिया और राजनीतिक संदेश देने के लिए सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें तेजस्वी यादव को लापता बताया गया है।


दरअसल, बिहार भाजपा के सोशल मीडिया पेज पर एक पोस्टर प्रकाशित किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि तेजस्वी यादव “लापता” हैं। पोस्टर में तेजस्वी यादव की फोटो को शामिल करते हुए उनके नाम के साथ ‘पहचान: नवमी फेल’ लिखा गया है। इसके साथ ही पोस्टर में यह सवाल भी पूछा गया है कि उन्हें आख़िरी बार कब देखा गया था। इसके जवाब में लिखा गया है, “मीडिया से मुंह छुपा कर भागते हुए।” यह पोस्टर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और राजनीतिक हलकों में इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।


बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को मात्र 25 सीटें हासिल हुईं, जिससे पार्टी के लिए विपक्ष की भूमिका निभाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। चुनाव नतीजों के बाद तेजस्वी यादव ने एक दिन बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र में विधायक पद की शपथ ली, लेकिन इसके बाद उन्होंने पूरे पांच जिलों की शीतकालीन सत्र में अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज कराई। उनकी गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े कर दिए कि क्या विपक्ष की भूमिका निभाने वाले नेता अपने दायित्वों के प्रति गंभीर हैं।


तेजस्वी यादव के बिहार से दूर रहने की खबरें लगातार मीडिया में आ रही हैं। उनकी गैरमौजूदगी की शुरुआत तब हुई जब बताया गया कि वह यूरोप चले गए हैं। इस दौरे की अवधि और लौटने की तारीख के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विपक्षी नेता का लंबे समय तक राज्य से बाहर रहना पार्टी के लिए चिंता का विषय हो सकता है, खासकर तब जब विधानसभा में विपक्ष की भूमिका निभाने वाले नेता की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है।


इस स्थिति को देखते हुए बिहार भाजपा ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। भाजपा के इस पोस्टर में न केवल तेजस्वी यादव को लापता बताया गया है, बल्कि इसे एक राजनीतिक संदेश के रूप में भी पेश किया गया है। पोस्टर का उद्देश्य स्पष्ट है—जनता और पार्टी दोनों को यह दिखाना कि विपक्ष के नेता अपने दायित्वों से भाग रहे हैं। सोशल मीडिया पर पोस्टर के वायरल होने के बाद कई लोगों ने इसे हास्यप्रद और तंजपूर्ण करार दिया है, वहीं कुछ लोगों ने इसे असंवेदनशील भी बताया।


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह की पोस्टिंग से भाजपा के लिए सियासी लाभ हो सकता है। जब विपक्षी नेता राज्य में सक्रिय नहीं होते, तो सत्ता पक्ष को जनता के बीच अपनी ताकत और स्थिरता दिखाने का अवसर मिलता है। तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी और भाजपा का यह पोस्टर सीधे तौर पर विपक्ष की कमजोरी को उजागर करने का प्रयास है।


बिहार विधानसभा में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, और तेजस्वी यादव जैसे नेता के लंबे समय तक अनुपस्थित रहने से राजनीतिक चर्चाएं तेज हो रही हैं। विपक्षी दलों को अपने नेता की गैरमौजूदगी में संगठनात्मक ढांचा मजबूत रखना पड़ता है। ऐसे में भाजपा का यह पोस्टर न केवल राजनीतिक बयान है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में हलचल पैदा करने का एक माध्यम भी बन गया है।


हाल के दिनों में सोशल मीडिया राजनीति में अहम भूमिका निभा रही है। बिहार भाजपा के इस पोस्टर ने दिखा दिया कि सोशल मीडिया के जरिए राजनीतिक संदेश तेजी से जनता तक पहुंचाया जा सकता है। पोस्टर ने तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी को मज़ाक और राजनीतिक आलोचना के रूप में पेश किया है।


इस पूरे घटनाक्रम को देखने से यह स्पष्ट होता है कि बिहार की राजनीति में सत्ता और विपक्ष के बीच लगातार संघर्ष जारी है। तेजस्वी यादव की लापरवाही के रूप में पेश की जा रही स्थिति और भाजपा का यह पोस्टर दोनों ही राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं। अब सवाल यह उठता है कि तेजस्वी यादव कब बिहार लौटेंगे और विपक्ष की भूमिका को प्रभावी ढंग से निभाना शुरू करेंगे।


बिहार भाजपा द्वारा जारी यह पोस्टर राजनीतिक संदेश के साथ-साथ जनता के बीच हास्य का भी एक माध्यम बन गया है। यह घटना राज्य की राजनीति में एक नई चर्चा का विषय बन चुकी है, और आगामी समय में इसका असर विधानसभा में विपक्ष की भूमिका और जनता की धारणा पर देखा जा सकता है।