1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Sat, 22 Nov 2025 02:40:29 PM IST
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Bihar News: बिहार में नई सरकार का गठन किया गया है. सरकार का दावा है कि आमलोगों को भ्रष्टाचार मुक्त शासन देंगे. हालांकि नीतीश सरकार में ही सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार ने सारी सीमाओं को लांघ दिया है. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ निगरानी-विशेष निगरानी-आर्थिक अपराध इकाई की छापेमारी भी दिखावे भर है. ऐसा इसलिए क्यों कि विभाग के स्तर से ऐसे अधिकारियों को बचाने की भरपूर कोशिश की जाती है. विभागीय कार्यवाही के नाम पर चहेते सरकारी सेवकों को बचा लिया जाता है. न सिर्फ बचा लिया जाता है कि बल्कि भ्रष्टाचार के आरोपियों को प्रमोट कर सम्मानित करने का भी काम किया जाता है. इस कृत्य को रोकना नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. बता दें....हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक जिला शिक्षा पदाधिकारी को 2 सालों में ही क्लिनचिट दिया है. निगरानी ब्यूरो ने जिस डीईओ के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में केस दर्ज कर छापेमारी की थी, विभाग ने 2 सालों में उन्हें पाक साफ बताकर मामले को खत्म कर दिया.
शिक्षा विभाग ही नहीं...परिवहन विभाग में भी भ्रष्टाचार के कई एमवीआई को मिली क्लिनचिट
नीतीश सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है. हालांकि सरकार जिस गति से करप्शन के खिलाफ बात करती है, शासन में भ्रष्टाचार उसी गति से बढ़ती जा रही है. धनकुबेर अधिकारियों के खिलाफ दिखावे के लिए कार्रवाई तो होती है, पर समय के साथ उसे बचा लिया जाता है. कोर्ट से निर्णय होने से पहले ही संबंधित विभाग भ्रष्टाचार के आरोपियों को क्लिनचिट देकर सम्मानित करता है. परिवहन विभाग की बात कर लेते हैं. यहां तो हद है....। आय से 100-200 फीसदी अधिक संपत्ति संपत्ति अर्जित करने के आरोप को छोड़िए, 500-500 फीसदी अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपियों को गुपचुप तरीके से क्लिनचिट दे दिया जाता है. आनन-फानन में विभागीय कार्यवाही समाप्त करा, उसमें क्लिनचिट देकर भ्रष्टाचार के आरोपियों को पाक-साफ बताकर प्रमोशन देने की तैयारी कर ली जाती है. जबकि आर्थिक अपराध इकाई की जांच अब तक जारी है.
लिस्ट में हैं कई नाम....फिर से समीक्षा की है जरूरत
बता दें, आर्थिक अपराध इकाई ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में परिवहन विभाग के कई मोटरायान निरीक्षकों के खिलाफ 2016- 2017 से लेकर 2021-22 तक केस दर्ज किया. कई पर आय से कई सौ फीसदी संपत्ति अधिक अर्जित करने का केस दर्ज कर रेड किया गया. मामला कोर्ट में विचाराधीन है, खबर है कि उन आरोपियों को विभागीय कार्यवाही में पाक साफ बताकर, विभाग ने उन्हें क्लिनचिट दे दिया. यानि आर्थिक अपराध इकाई के सारे आरोपों को झुठलाते हुए ईओयू को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. अगर ऐसा है तब तो ईओयू ने किसी को साजिशन फंसाया है, ऐसे में यह गंभीर इश्यू बन जाता है. सरकार को इस भी विचार करने की जरूरत है.
परिवहन विभाग के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2024-2025 में भ्रष्टाचार के कई आरोपियों को अंदर ही अंदर क्लिनचिट दी गई है. मामला आउट न हो, इसके लिए क्लिनचिट देने वाला पत्र को भी दबा दिया गया है, क्लिनचिट देने वाले पत्र को सार्वजनिक नहीं किया गया है,ताकि भनक न लगे. खबर है कि उनलोगों का दाग न सिर्फ धोया गया है, बल्कि उनके कैरियर को बढ़ाने की भी तैयारी चल रही है.
निगरानी ब्यूरो की सुस्ती....शिक्षा विभाग ने आरोपी डीईओ को दिया क्लिनचिट
बता दें, निगरानी ब्यूरो ने 6 दिसंबर 2023 को सिवान के डीईओ मिथिलेश कुमार के खिलाफ धार-13(2) RW 13(1)(B) PC ACT 1988 (amended 2018) के तहत केस दर्ज किया था. ब्यूरो की तरफ से जो जानकारी साझा की गई है, उसमें इस केस में चार्जशीट दाखिल नहीं करने का उल्लेख है. इधर शिक्षा विभाग ने संचालन पदाधिकारी से रिपोर्ट के आधार पर आरोपी अधिकारी को आरोप मुक्त कर दिया है. इस तरह से निगरानी ब्यूरो सवालों के घेरे में आ गया है. हालांकि केस खत्म नहीं हुआ है, न्यायिक कार्यवाही विचाराधीन है.
संचालन पदाधिकारी की जांच में नहीं मिला आय से अधिक संपत्ति
सिवान जिले के तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार के खिलाफ निगरानी ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज किया था. इसके बाद निगरानी टीम ने डीईओ मिथिलेश कुमार के सिवान से लेकर पटना तक छापेमारी की थी. डीए केस में रेड होने के बाद शिक्षा विभाग ने 12 दिसंबर 2023 को आरोपी डीईओ मिथिलेश कुमार को सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद 6 दिसंबर 2024 के प्रभाव से मिथिलेश कुमार के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही संचालित की गई। विभाग के संयुक्त सचिव सुनील कुमार को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया. इनके खिलाफ कुल तीन आरोप थे. जिसमें दूसरे नंबर पर निगरानी थाना कांड सं- 36/2023 से संबंधित आरोप थे. इसी बीच मिथिलेश कुमार 31 जुलाई 2024 को सेवानिवृत हो गए। इसके बाद इनके खिलाफ जारी अनुशासनिक कार्यवाही को पेंशन नियमावली के तहत कार्यवाही में बदल दी गई।
निदेशक(प्रशासन) ने जारी किया आदेश
मिथिलेश कुमार के खिलाफ आरोपों के संबंध में संचालन पदाधिकारी ने सभी तीन आरोपों को अप्रमाणित बता दिया. आय से अधिक संपत्ति मामले में भी जांच अधिकारी ने पाया कि आरोप सही नहीं हैं. विभाग की तरफ से इस संबंध में दुबारा रिपोर्ट देने को कहा गया. संचालन पदाधिकारी ने फिर से वही रिपोर्ट किया, इसके बाद शिक्षा विभाग ने तत्कालीन डीईओ मिथिलेश कुमार के खिलाफ आरोप मुक्त करने का निर्णय लिया. विभाग के निदेशक (प्रशासन) ने 19 नवंबर को मिथिलेश कुमार को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए विभागीय कार्यवाही समाप्त कर दिया.