Bihar Expressway: कहाँ तक पहुंचा बिहार के ₹38 हजार करोड़ वाले एक्सप्रेसवे का काम? ताजा अपडेट के बाद स्थानीय लोग उत्साहित

Bihar Expressway: गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से गुजरेगा। निर्माण को लेकर सामने आया बड़ा अपडेट..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 29 Nov 2025 09:29:00 AM IST

Bihar Expressway

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar Expressway: गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है जो उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को जोड़ेगी। यह 568 किलोमीटर लंबा छह-लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है, जिसकी डिजाइन गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 38,645 करोड़ रुपये है। मार्च 2025 में केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी प्रदान की और चुनावों के बाद नवंबर में प्रशासनिक स्तर पर कार्य गति पकड़ चुका है। यह भारतमाला परियोजना का हिस्सा है जो पूर्वी भारत की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।


बिहार में इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई लगभग 417 किलोमीटर है, यह राज्य के आठ जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज से होकर गुजरेगा। यह 39 प्रखंडों के 313 गांवों को कवर करेगा। पूर्वी चंपारण जिले में पहाड़पुर से शुरू होकर यह एक्सप्रेसवे 56 गांवों से गुजरेगा और यहां 491.12 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रगति पर है। जिला भूमि अधिग्रहण अधिकारी विकास कुमार के अनुसार चुनावों के कारण हुए विलंब के बाद अब भूमि सर्वेक्षण और अधिग्रहण में तेजी आई है। ग्रीनफील्ड प्रकृति के कारण घनी आबादी वाले क्षेत्रों से इसे हटकर बनाया जा रहा है, जिससे अधिग्रहण में कम बाधाएं आ रही हैं।


इस परियोजना में गंडक, बागमती और कोसी जैसी प्रमुख नदियों पर पुलों का निर्माण भी शामिल है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा तक का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन अनुमोदित है, जबकि अन्य पैकेजों के लिए निविदाएं प्रक्रिया में हैं। निर्माण कार्य 2026 से पूर्ण गति पकड़ेगा और पूर्णता का अनुमान 2028 तक है। सड़क निर्माण मंत्री ने इसे बिहार के परिवहन नेटवर्क को आधुनिक बनाने वाला कदम बताया है।


इस एक्सप्रेसवे के बाद गोरखपुर और सिलीगुड़ी के बीच की दूरी 640 किलोमीटर से घटकर 519 किलोमीटर रह जाएगी और यात्रा समय 14-15 घंटे से घटकर 8-9 घंटे हो जाएगा। इससे पूर्वी भारत और उत्तर-पूर्व के बीच माल ढुलाई तेज होगी, साथ ही नेपाल के साथ व्यापार भी बढ़ेगा। बिहार के उत्तरी जिलों में औद्योगिक गलियारों का विकास होगा, रोजगार सृजन होगा और आर्थिक स्थिति मजबूत बनेगी। साथ ही रियल एस्टेट में भी निवेश बढ़ेगा।