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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 04 Jul 2025 09:44:36 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar Flood: बिहार में बाढ़ की संभावित स्थिति से निपटने के लिए नीतीश सरकार ने व्यापक तैयारियाँ की हैं। जल संसाधन विभाग ने 'तटबंध एम्बुलेंस' की अनूठी पहल शुरू की है, जिसके तहत खतरनाक और अतिसंवेदनशील तटबंधों पर ट्रैक्टर-आधारित एम्बुलेंस तैनात की गई हैं। प्रत्येक तटबंध एम्बुलेंस में पोर्टेबल जेनरेटर, हैलोजन लाइट, ईसी बैग, नायलन क्रेट, खाली जियो बैग और फिल्टर सामग्री के साथ कम से कम दस मजदूर मौजूद रहेंगे। राज्य के 3808 किलोमीटर लंबे तटबंधों की निगरानी के लिए प्रति किलोमीटर एक श्रमिक तैनात किया गया है। इसके अलावा अस्थायी आवास, शौचालय और पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। बाढ़ सुरक्षा के लिए 11 अनुभवी और सेवानिवृत्त अभियंताओं की अध्यक्षता में बाढ़ सुरक्षा बलों का गठन किया गया है।
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सतत निगरानी ही एकमात्र समाधान है। सभी तटबंधों का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण सुनिश्चित किया गया है और जर्जर पुलों व पुलियों की रिपोर्ट तैयार की गई है। विभाग ने गंगा, कोशी, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा नदियों के 394 अतिसंवेदनशील स्थलों पर 1310.09 करोड़ रुपये की लागत से कटाव निरोधक कार्य पूरे कर लिए हैं। बाढ़ के दौरान तटबंधों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त बाढ़ संघर्षात्मक सामग्री का भंडारण किया गया है। पटना में बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायक केंद्र ने गंगा के बक्सर से कहलगांव तक और अन्य नदियों के 42 स्थलों पर 72 घंटे पहले बाढ़ पूर्वानुमान शुरू कर दिया है।
नेपाल के साथ समन्वय को मजबूत करते हुए, कोशी बराज और तटबंधों पर बाढ़ सुरक्षा कार्य पूरे किए गए हैं। नेपाल के जल और मौसम विभाग से उत्तर बिहार के नदी बेसिन में वर्षा और पूर्वानुमान की जानकारी समय पर मिल रही है। जल संसाधन विभाग का काठमांडू में संपर्क कार्यालय दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम कर रहा है। बाढ़ नियंत्रण के लिए 1 जून से 31 अक्टूबर तक केंद्रीय और क्षेत्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं, जो 24 घंटे टोल-फ्री नंबर 1800-345-6145 और अन्य संपर्क नंबरों के जरिए सक्रिय हैं। यह सुनिश्चित करता है कि बाढ़ की स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके।
बिहार की भौगोलिक स्थिति और नेपाल से आने वाली नदियों कोशी, गंडक और बागमती के कारण बाढ़ एक बड़ी चुनौती है। 2024 में कोशी बराज से 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिसने कई जिलों को प्रभावित किया था। नीतीश सरकार की यह तैयारी बाढ़ के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। आपदा प्रबंधन विभाग और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के साथ मिलकर राहत कार्यों को और प्रभावी बनाया गया है।