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रेंज अधिकारियों के तबादले पर हाई कोर्ट सख्त, नीतीश सरकार से मांगा जवाब

पटना हाई कोर्ट ने पर्यावरण विभाग के 37 रेंज अधिकारियों के तबादले पर नीतीश सरकार से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता ने सिर्फ 5 महीने में तबादले को 2007 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 08 Jul 2025 10:40:15 PM IST

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5 महीने में ही तबादला - फ़ोटो GOOGLE

PATNA: हाल ही में बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने 37 रेंज अधिकारियों का ट्रांसफर किया था। जो अब कानूनी पेंच में फंस गया है। पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि तबादले के आदेशों की वैधता को लेकर उठे सवालों पर सरकार को विस्तृत जवाब देना होगा।


यह आदेश पटना हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल की एकल पीठ ने रेंज अधिकारी प्रियंका श्यामल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने स्थानांतरण नीति और 2007 में तय दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन किया है।


क्या है याचिकाकर्ता की दलील?

याचिकाकर्ता प्रियंका श्यामल के वकील एस.बी.के. मंगलम ने कोर्ट को बताया कि इन अधिकारियों का तबादला केवल पांच महीने की सेवा के बाद ही कर दिया गया, जबकि सरकार के 2007 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी अधिकारी का तबादला 3 साल की सेवा के बाद ही होना चाहिए।


उन्होंने यह भी तर्क दिया कि गया में याचिकाकर्ता की सेवा अवधि पूरी नहीं हुई थी, बावजूद इसके उन्हें हटाकर मुजफ्फरपुर से नितीकेश कुमार को पदस्थापित कर दिया गया। यहां तक कि गया के डीएफओ ने शाम 5:09 बजे, यानी कार्यालय समय समाप्त होने के बाद, उनका विरमण आदेश जारी किया, जो प्रक्रिया और प्रशासनिक मर्यादाओं के विरुद्ध है।


सरकार की तरफ से क्या कहा गया?

सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने राज्य सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि स्थानांतरण एक सेवा विषयक मामला है और इसे केवल विधिक नियमों के उल्लंघन के आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है, न कि नीति-निर्देशों के आधार पर। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए ईमेल और सूचना में समय का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, जिससे स्थगन का आधार कमजोर होता है।


कोर्ट का अंतरिम आदेश

कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर नितीकेश कुमार अब तक मुजफ्फरपुर से रिलीव नहीं हुए हैं, तो प्रियंका श्यामल के विरमण आदेश पर अस्थायी रोक लगाई जाती है। इसके साथ ही राज्य सरकार को अगली सुनवाई से पहले विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया गया है।