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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 06 Feb 2025 08:14:52 AM IST
bihar land survey - फ़ोटो bihar land survey
Bihar Land Survey: बिहार में सरकारी योजनाओं के लिए अधिग्रहित जमीनों का दाखिल-खारिज और जमाबंदी अटक गया है, जिससे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की चिंता बढ़ गई है। विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा अलग-अलग परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण तो किया जा रहा है, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हो पा रही है। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। इस गंभीर समस्या को देखते हुए विभाग ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
चकबंदी निदेशक द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सरकारी कार्यों के लिए अधिग्रहित भूमि का दाखिल-खारिज और जमाबंदी सृजन करना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग सरकारी कार्यों के लिए विभिन्न स्तरों पर हस्तांतरित या बंदोबस्त सरकारी भूमि और अधिग्रहित रैयती भूमि का जमाबंदी कायम करने में भारी कठिनाई आ रही है। इस प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए संबंधित विभाग, उपक्रम, निकाय के नाम से दाखिल-खारिज तथा जमाबंदी कायम करने के लिए विभाग के स्तर से ऑनलाइन व्यवस्था भी शुरू की गई है, लेकिन इसका अपेक्षित परिणाम नहीं दिख रहा है।
विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दाखिल-खारिज के मामलों को समय पर निपटाने के लिए 20 मई 2024 को एक समय सीमा निर्धारित की गई थी। यह समय सीमा 30 जून 2024 थी। लेकिन अफसोस, निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। विभिन्न विभागों, उपक्रमों, निकायों को हस्तांतरित, बंदोबस्त, अधिग्रहित भूमि के दाखिल-खारिज के मामले की विभाग के स्तर पर समीक्षा की गई। इस समीक्षा में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि राज्य के 37 जिलों से दाखिल-खारिज के 1250 मामले सामने आए हैं, जिनमें से केवल एक मामले का निष्पादन हो पाया है। यानी 1249 मामले अभी भी लंबित हैं।
राजस्व विभाग ने अपनी समीक्षा में पाया कि जिलों के द्वारा जो भी मामले दाखिल-खारिज के लिए दायर किए गए हैं, उनकी जांच और छानबीन जिला स्तर पर ठीक से नहीं की गई है। लापरवाही का आलम यह है कि कई जिलों से पर्याप्त संख्या में मामले ही सामने नहीं आए हैं। उदाहरण के तौर पर, पटना जिले में बड़े पैमाने पर भूमि हस्तांतरण, बंदोबस्ती और भू अधिग्रहण की कार्रवाई की जाती है। लेकिन इस जिले से दाखिल-खारिज के लिए केवल 28 मामले ही प्रतिवेदित किए गए हैं, जो कि वास्तविक संख्या से बहुत कम हैं। इससे स्पष्ट होता है कि जिला स्तर पर इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
चकबंदी निदेशक ने अपने पत्र में प्रमंडलीय आयुक्तों और सभी जिलों के जिलाधिकारियों को कड़ी हिदायत दी है। उन्होंने कहा है कि ऐसे में लोक प्रयोजन के लिए हस्तांतरित भूमि, बंदोबस्त भूमि या अधिग्रहित भूमि का दाखिल-खारिज एवं जमाबंदी सृजन के बिंदु पर जिला स्तर पर गहन जांच की जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों से समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई करने के लिए कहा है, ताकि लंबित मामलों का जल्द से जल्द निपटारा हो सके और विकास कार्यों को गति मिल सके। अब देखना होगा कि इस पत्र के बाद जिला प्रशासन कितनी गंभीरता से इस मामले में कार्रवाई करता है और कब तक इन अटके हुए मामलों का निपटारा हो पाता है।