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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 29 Sep 2025 08:39:58 AM IST
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Bihar Land Survey: बिहार में इस समय भूमि सुधार और राजस्व से जुड़ा महाअभियान चल रहा है। राज्य सरकार जहां एक तरफ जमाबंदी सुधार की दिशा में कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर विशेष भूमि सर्वेक्षण का कार्य भी लगातार जारी है। इस सर्वे का मकसद जमीन मालिकों को उनकी वास्तविक स्थिति और रिकॉर्ड के साथ जोड़ना है। लेकिन इस बीच एक बड़ी समस्या सामने आई है—कई जमीन मालिकों के पास पुराने कागजात जैसे केवाला, खतियान, दाखिल-खारिज, रसीद आदि उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे लोगों के सामने यह दुविधा थी कि बिना कागजात उनकी जमीन का क्या होगा और क्या वे सर्वेक्षण की प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे।
इसी असमंजस को दूर करने के लिए सरकार ने अब बड़ा निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने साफ किया है कि जिन जमीन मालिकों के पास पुराने कागजात नहीं हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। अब ऐसे लोग भी एक स्वघोषणा पत्र (Self Declaration Form) जमा कर सर्वेक्षण में भाग ले सकते हैं। इस स्वघोषणा पत्र में जमीन के मालिकाना हक, खाता, खेसरा नंबर और रकवा (क्षेत्रफल) जैसी मूलभूत जानकारी देनी होगी। इस तरह उनकी जमीन भी सर्वे में दर्ज होगी और उन्हें प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जाएगा।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन के पुराने कागजात या तो नष्ट हो गए हैं, खो गए हैं या फिर फट चुके हैं। कई मामलों में जमीन पूर्वजों के नाम पर दर्ज है और वर्तमान मालिकों के पास अपडेटेड दस्तावेज नहीं हैं। परिणामस्वरूप सर्वे टीम के पहुंचने पर वे अपनी जमीन के स्वामित्व को प्रमाणित नहीं कर पा रहे थे। यह स्थिति विवाद और असमानता को जन्म दे सकती थी। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लोगों को राहत देने का यह कदम उठाया है।
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि जमीन संबंधी दस्तावेज उपलब्ध न होने की स्थिति में 15 वैकल्पिक दस्तावेज मान्य किए जाएंगे। हालांकि इन दस्तावेजों की विस्तृत सूची अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि इनमें बिजली बिल, पानी बिल, बैंक पासबुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वंशावली प्रमाणपत्र, पंचायत या नगर निकाय द्वारा जारी प्रमाणपत्र जैसे कागजात शामिल हो सकते हैं। इनकी मदद से जमीन मालिक अपनी पहचान और स्वामित्व को प्रमाणित कर पाएंगे।
इस निर्णय से लाखों जमीन मालिकों को सीधा फायदा होगा। अब बिना कागजात वाले लोग भी सर्वे में शामिल हो सकेंगे। उन्हें भूमि सुधार और राजस्व अभिलेखों से बाहर नहीं किया जाएगा। भविष्य में जमीन से जुड़ी कानूनी दिक्कतें और विवाद कम होंगे। इसके साथ ही गरीब और ग्रामीण इलाकों के वे लोग जिनके पास दस्तावेज सुरक्षित नहीं हैं, भी अपनी जमीन का अधिकार सुरक्षित रख पाएंगे।
राज्य सरकार ने साफ कहा है कि सर्वे का उद्देश्य किसी को बाहर करना नहीं, बल्कि सभी जमीन मालिकों को रिकॉर्ड में शामिल करना है। यही कारण है कि स्वघोषणा पत्र की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सरकार दस्तावेजों को आसानी से उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम कर रही है ताकि लोग भविष्य में किसी तरह की परेशानी का सामना न करें।
बिहार सरकार का यह फैसला न केवल जमीन मालिकों को राहत देने वाला है बल्कि भूमि सुधार और राजस्व अभिलेखों को पारदर्शी बनाने की दिशा में भी अहम कदम है। अब चाहे पुराने कागजात हों या न हों, हर जमीन मालिक को अपनी जमीन का हक सुरक्षित करने का मौका मिलेगा। इससे भविष्य में विवादों की संभावना कम होगी और राज्य में भूमि सुधार प्रक्रिया को और गति मिलेगी।